2 दिसंबर 2014 को परमाणु सक्षम अग्नि–IV मिसाइल का परीक्षण ओडीशा के ह्वीलर द्वीप के एकीकृत परीक्षण रेंज से किया गया. यह परीक्षण भारतीय सेना की सामरिक बल कमान (एसएफसी) ने किया.
यह श्रृंखला का चौथा सफल परीक्षण था. परीक्षण के दौरान सभी पैमानों की निगरानी के लिए लंबी दूरी के रडार और इलेक्ट्रो– ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम्स (ईओटीएस) तट पर लगाए गए थे.
मिसाइल एक टन का वजन हिन्द महासगर में अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य बिन्दु तक ले गया.
अग्नि– IV जमीन– से– जमीन पर मार करने वाला मिसालइल है। इसकी रेंज 4000 किलोमीटर की है और यह 20 मीटर लंबा है. इसे देश में ही बनाया गया है.
मिसाइल दो चरणों वाला, 17 टन वजन और 20 मीटर लंबा है. अग्नि–IV अत्याधुनिक वैमानिकी, पांचवी पीढ़ी का ऑन– बोर्ड कंप्यूटर और वितरित वास्तुकला से सुसज्जित है. इसमें उड़ान के दौरान होने वाली गड़बड़ी के बीच खुद का मार्गदर्शन करने के लिए नवीनतम सुविधाएं दी गई हैं.
मिसाइल की सबसे सटीक रिंग लेजर गायरो आधारित इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (आरआईएनएस) और यह अत्यंत विश्वसनीय माइक्रो नेविगेशन सिस्टम (एमआईएनजीएस) द्वारा समर्थित है, जो मिसाइल के दो अंकों की सटीकता के साथ लक्ष्य पर पहुंचना सुनिश्चित करती है.
अग्नि–IV को पहले ही सेना में शामिल किया जा चुका है. अग्नि–I (700 किलोमीटर), अग्नि–II (2000 किलोमीटर) और अग्नि–III (3000 किलोमीटर) पहले से ही सशस्त्र बलों के शस्त्रागार में हैं.

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