‘क्राइस्ट कॉलेज’ में जंतु वर्गीकरण और पारिस्थितिकी केंद्र के अध्ययनकर्ताओं को परम्बिकुलम बाघ अभयारण्य, केरल में मकड़ियों की आठ नई प्रजातियां प्राप्त हुई.
बाघ अभयारण्य एवं वन्य विभाग के अधिकारियों के सहयोग से जंतु वर्गीकरण और पारिस्थितिकी केंद्र ‘सीएटीई’ के हालिया ‘मकड़ी विविधता खोज सर्वेक्षण’ के दौरान नई प्रजातियों का पता चला.
सीएटीई’ अध्ययनकर्ताओं की टीम नेतृत्व कर्ता एवी सुधीर कुमार ने बताया कि उन्होंने 200 से ज्यादा मकड़ियों की सूची तैयार की है. कुछ प्रजातियां पश्चिमी घाट पर पाई जाती हैं तो कुछ अफ्रीकी क्षेत्र तथा अन्य मलाया क्षेत्र में.
परम्बिकुलम बाघ अभयारण्य ‘पीटीआर’ में मकड़ियों की इन नई प्रजातियों का पता चला.
परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य
परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य भारत के दक्षिणी राज्य केरल के पालक्कड जिले के चित्तूर तालुके में विस्तृत एक संरक्षित क्षेत्र है. वर्ष 1973 में स्थापित यह अभयारण्य तमिलनाडु के अनामलई पर्वत श्रृंखलाओं और पालक्कड जिले में नेल्लियमपथी पाहड़ियों के बीच सुगम पर्वतमाला में स्थित है. परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य पश्चिमी घाट के 285 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला हुआ है. यह पार्क 2009 में टाइगर रिजर्व के रूप में नामित किया गया था.
यह अभयारण्य केरल के दुर्लभ पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं से जुड़े अनोखे अनुभव प्रदान करता है. मलयर, कादर और मुथुवन जैसी कुछ पहाड़ी जनजातियां भी परम्बिकुलम के जंगलों में निवास करती हैं. यहां पाए जाने वाले प्राणियों में शामिल हैं- नीलगिरि लंगूर, शेर-पुंछ मकाक, बाघ, नीलगिरि टार, एशियायी हाथी, चित्तीदार मृग, भारतीय जंगली कुत्ते और सांपों एवं मकड़ियों की अनेक प्रजातियों सहित चिड़ियों की अनेक किस्में.
अभयारण्य में अनेक प्रजातियों के वृक्ष जैसे- टीक, नीम, चंदन और रोजवुड भी पाए जाते हैं. आप यहां प्राचीनतम टीक ‘कन्निमरी’ के ऊंचे वृक्ष भी देख सकते हैं.
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