भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) के लिए समान लेखा मानदंड 23 अप्रैल 2014 को जारी किए. ये मानदंड कंपनियों के लिए सामान्य उपचार सुनिश्चित करने के लिए गैर– निष्पादित ऋण को प्राप्त करने, राजस्व और प्रबंधन फीस को पहचानने के लिए जारी किए गए हैं. समान लेखा मानदंड पर आरबीआई ने निर्देश निम्न के तहत जारी किए हैं.
अधिग्रहण लागत (पूर्व और पश्चात अधिग्रहण)
बैंकों से वित्तीय संपत्ति प्राप्त करने के लिए परिश्रम प्रदर्शन के लिए पूर्व अधिग्रहण के स्तर पर किए गए खर्च आदि / प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट में पहचान कर एफएल को तुरंत खर्च किया जाना चाहिए.
राजस्व पहचान
1. लाभ तभी माना जाए जब सुरक्षा रसीद के पूरे मूल राशि का पूर्ण प्रतिदान मिल जाए.
2. उल्टे आय (अपसाइड इनकम) को केवल सुरक्षा प्राप्तियों के पूर्ण प्रतिदान के बाद ही मान्यता दी जानी चाहिए.
3. प्रबंधन फीस को सिर्फ संभूति (एक्यूरल) आधार पर पहचाना जा सकता है. योजना अवधि के दौरान प्रबंधन फीस को योजना अवधि के खत्म होने के 180 दिनों के भीतर पहचान कर लेना चाहिए.
सुरक्षा प्राप्तियों का मूल्यांकन
एसआर में निवेश की प्रकृति को देखते हुए जहां गैर निष्पादित परिसंपत्तियों में अंतर्निहित नकदी प्रवाह वसूली पर निर्भर करते हैं, को बिक्री के लिए उपलब्ध की श्रेणी में रखा जा सकता है.
VI अनुसूची के तहत संचालन चक्र संकल्पना की प्रयोज्यता
पूंजी औऱ रिजर्व देनदारियों के रूप में ऋण की तरफ जबकि एसआर में निवेश एवं लंबी अवधि के डिपॉजिट पूंजी की तरफ अचल संपत्ति में माना जाएगा. ये सिफारिशें केंद्र सरकार द्वारा 2011 में एआरसी पर आलोक निगम की अध्यक्षता में गठित प्रमुख सलाहकार समूह (केएजी) के विचारों पर आधारित है. नए निर्देश वित्त वर्ष 2014– 15 से प्रभावी हो जाएंगे.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation