पुनटीयस डोलीचोपटेरस नामक सिप्रिंड मछली की एक नई प्रजाती को केरल के अलाप्पुझा जिले के कायमकुलम शहर की जल धारा से खोजा गया.
छोटे और उथले जल में पाई जाने वाली इस मछली को सिप्रिंड समूह में स्थान दिया गया है. यह मछली खाद्य पदार्थ के रूप में इस्तेमाल की जा सकती है इसके अतिरिक्त इसका उपयोग सजावटी मछली के रूप में भी किया जा सकता है.
इस मछली की खोज कोल्लम शहर के बेबी जॉन मेमोरियल गवर्नमेंट कॉलेज के प्राणी शास्त्र विभाग के प्रमुख मैथ्यूज पलामूतिल द्वारा की गई है इसके अतिरिक्त मैथ्यूज ने इस मछली को नाम भी दिया है और उसकी विशेषताओं का भी वर्णन किया है.
खोज की पुष्टि पत्रिका ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ प्योर एंड एप्लाइड जूलॉजी’ के जुलाई से सितम्बर तक के अंक में की गई है.
परीक्षण के बाद प्राणियों का नामकरण करने वाली संस्था ‘इंटरनेशनल कमीशन ऑफ जूलोजिकल नोमनक्लेचर’ द्वारा इसे जू बैंक पंजीकरण संख्या भी प्रदान की गई है.
इस मछली के छह नमूनों को पोर्ट ब्लेयर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के राजकीय संग्रहालय (भारतीय प्राणी सर्वेक्षण) को भी दिया गया है.
पुनटीयस डोलीचोपटेरस के बारे में –
• मछली का यह नाम ‘डोलीचोपटेरस’ ग्रीक शब्द ‘डोलीखोस’ और ‘पटेरन’ से लिया गया है ‘डोलीखोस’ का अर्थ होता है ‘लम्बी’ और ‘पटेरन’ का अर्थ होता है ‘पंख’ .
• इसकी लंबाई में 7.3 सेमी से 8.7 सेमी के बीच है.
• इस प्रजाति का सिर लम्बा होता है ,शरीर पर पंख(फिन्स) होते हैं.
• इनमें इस समूह की और मछलियों से अलग 3 से 4 अनुदैर्ध्य रेखाएं होती हैं.
• इस मछली का रंग चमकीला होता है जिस पर हल्का नारंगी लाल रंग के पृष्ठीय पंख होते हैं.
• पृष्ठीय पंख की इसकी हड्डी को मजबूत और कठोर होती है.
पुनटीयस नीग्रोनोट्स, पुनटीयस विरिडिस, पुनटीयस नेल्सोनी और पुनटीयस पराह इस समूह से समबन्धित अन्य प्रजातियाँ हैं जो केरल में पाई जाती हैं. पुनटीयस चोला और पुनटीयस सोफोर गंगा नदी में पाई जाती है.
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