प्रोटीन में संश्लेषण की रोकथाम करने वाले मलेरिया रोधी यौगिक डीडीडी107498 की खोज

Jun 30, 2015, 17:51 IST

वैज्ञानिकों द्वारा एक विशेष एंटी-मलेरिया यौगिक डीडीडी107498 की खोज की गयी है जो प्रोटीन संश्लेषण को रोकता है

वैज्ञानिकों द्वारा एक विशेष एंटी-मलेरिया यौगिक डीडीडी107498 की खोज की गयी है जो प्रोटीन संश्लेषण को रोकता है. खोज से संबंधित अध्ययन पत्रिका नेचर में 18 जून 2015 को प्रकाशित किया गया.

इस यौगिक में मलेरिया रोधी दवा के सभी गुण मौजूद पाए गये जो कि प्लासमोडियम परजीवी के विभिन्न जीवन चक्रों के कई चरणों में फैली हुई है साथ ही इसमें सुरक्षा प्रोफाइल के स्वीकार्य तत्व भी पाए गये.

इन निष्कर्षों को इसलिए भी प्रमुखता दी जा रही है क्योंकि मलेरिया परजीवी द्वारा वर्तमान में मलेरिया रोधी दवाओं का प्रमुखता से प्रतिरोध विकसित कर लिया गया है जिससे उपचार का निष्कर्ष संतोषजनक नहीं रह गया है.

डीडीडी107498 यौगिक से संबंधित प्रमुख निष्कर्ष


यह पाया गया कि ट्रांसलोकेशन एलोनगेशन फैक्टर 2 (eEF2) को लक्षित करने के लिए जीटीपी-निर्भर राइबोसोम एवं आरएनए के स्थानान्तरण के लिए प्रोटीन संश्लेषण आवश्यक है.


यह पाया गया कि यौगिक में दवा में सभी उत्तम विशिष्टताओं की मौजूदगी के कारण यह परजीवी से लड़ने में सक्षम है. उदाहरण के लिए प्लाज्मोडियम बेर्घेई से संक्रमित चूहों के मामले में इसकी एक खुराक देने पर पैरासिटामिया 90 प्रतिशत कम पाया गया.

यौगिक को यौन रक्त चरणों तथा गेमेटोसाईटिस के प्रतिरोध में भी सक्रिय पाया गया है जो कि मलेरिया संचरण के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं.

यह केमोप्रोटेक्शन के द्वारा लीवर पर होने वाले प्रभाव को भी दर्शाता है.

इसे पी फाल्सीपेरम परजीवी तथा अन्य विभिन्न दवा प्रतिरोधी उपभेदों के प्रयोग में भी सकारात्मक पाया गया.

शोध के दौरान इसने वर्तमान में प्रयोग की जा रही पी फाल्सीपेरम और पी.वैवाक्स नामक आर्टिसुनेट दवा से बेहतर परिणाम दिखाए.

लीवर शिजोंट अवस्था में यौगिक को लीवर के पी बर्घेयी अवस्था में पहुंचने के बाद प्रविष्ट कराया गया लेकिन इसने सकारात्मक परिणाम दिखाए. लीवर शिजोंट अवस्था का अर्थ है मलेरिया परजीवी का रक्त कोशिकाओं द्वारा होते हुए लीवर तक पहुंच कर लीवर कोशिकाओं को संक्रमित करना.

पी बर्घेयी से संक्रमित चूहों का इस यौगिक द्वारा उपचार के उपरांत चूहों में 30 दिन बाद भी संक्रमण के लक्षण नहीं मिले.


शोधपत्र के अनुसार यौगिक ने गैर-चिकित्सकीय क्षेत्र में प्रगति की जिसका उद्देश्य मानवीय परीक्षणों को बल प्रदान करना है.

वर्ष 2013 में विश्व भर में मलेरिया के 200 मिलियन मामले सामने आये जिसमें 0.6 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई. भारत में वर्ष 2013 में मलेरिया के 61 मिलियन मामले सामने आये तथा 116000 लोगों की मृत्यु हुई. यह परिणाम इस तथ्य के बावजूद सामने आया जब वर्ष 1990-2013 के बीच प्रति 100000 लोगों पर मृत्यु दर आधी हो गयी.

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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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