वरिष्ठ लेखक व प्रोफ़ेसर रामदरश मिश्र को उनके काव्य संग्रह आम के पत्ते के लिए वर्ष 2011 का व्यास सम्मान के लिए चयनित किया गया. केके बिड़ला फाउंडेशन ने 21वें व्यास सम्मान के लिए प्रोफ़ेसर रामदरश मिश्र को चयनित किया.
प्रोफ़ेसर रामदरश मिश्र का चयन वर्ष 2004 में प्रकाशित उनके 16वें काव्य संग्रह आम के पत्ते के लिए किया गया. प्रोफ़ेसर रामदरश मिश्र ने 16 काव्य संग्रह, 13 उपन्यास और 18 कहानी संग्रह, आत्मकथा, संस्मरण और यात्रा वृत्तांत लिखे हैं.
पक गई है धूप, कंधे पर सूरज, दिन एक नदी बन गया, आग कुछ नहीं बोलती और बारिश में भीगते बच्चे आदि प्रोफ़ेसर रामदरश मिश्र के प्रमुख काव्य संग्रह हैं. उपन्यास जल टूटता हुआ और पानी के प्राचीर काफी चर्चित रहे हैं. प्रोफ़ेसर रामदरश मिश्र का जन्म 15 अगस्त 1924 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के डुमरी गांव में हुआ था. वह दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी प्राध्यापक के पद से सेवानिवृत्त हुए थे.
ज्ञातव्य हो कि व्यास सम्मान के रूप में ढाई लाख रुपए की नकद राशि प्रदान की जाती है. साथ ही यह सम्मान प्रति वर्ष पिछले 10 वर्ष में प्रकाशित किसी भारतीय लेखक की उत्कृष्ट हिंदी कृति पर दिया जाता है. व्यास सम्मान की विशिष्टता यह है कि इसे साहित्यकार को केंद्र में न रखकर बल्कि साहित्यिक कृति को दिया जाता है. प्रथम व्यास सम्मान 1991 में राम विलास शर्मा की कृति भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिन्दी (आलोचना) के लिए प्रदान किया गया था.
व्यास सम्मान पाने वाले साहित्यकारों में डॉ. शिव प्रसाद सिंह (नीला चांद), गिरजा कुमार माथुर (मैं वक्त के हूं सामने), डॉ. धर्मवीर भारती (सपना अभी भी), कुंवर नारायण (कोई दूसरा नहीं), श्रीलाल शुक्ल (बिसरामपुर का संत), गिरिराज किशोर (पहला गिरमिटिया), मृदुला गर्ग (कठगुलाब), मन्नू भंडारी (एक कहानी यह भी), अमर कांत (इन्हीं हथियारों से) आदि प्रमुख हैं.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation