केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 फीसदी तक और एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 100 फीसदी तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी प्रदान की. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में यह निर्णय 24 नवंबर 2011 को लिया गया.
खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की नई नीति के तहत विदेशी कंपनियों को कम से कम 10 करोड़ डॉलर का निवेश करना आवश्यक है. इसके साथ ही घरेलू बाजार को बचाए रखने हेतु इन कंपनियों को छोटी कंपनियों से 30 फीसदी खरीदारी करनी भी आवश्यक है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से किराना दुकानों को होने वाली प्रतिस्पर्द्धा को कम करने हेतु विदेशी खुदरा क्षेत्र की कंपनियों को भारत की दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में ही स्टोर खोलने की अनुमति प्रदान की.
ज्ञातव्य हो कि भारत में खुदरा क्षेत्र का आकार वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान 590 अरब डॉलर का माना गया है. इसमें 500 अरब डॉलर का कारोबार बेहद छोटे कारोबारियों अथवा किराना दुकान चलाने वाले करते हैं. एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में इससे पूर्व प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 51 फीसदी तक थी.
बहु-ब्रांड खुदरा दूकान (Multi brand Retail Shop): सामान्य किराना दुकान को मल्टी ब्रांड स्टोर कहा जाता है. इनका आकार गली-मोहल्ले के छोटे किराना दुकानों से लेकर विशालकाय खुदरा दुकान तक का हो सकता है. भारत में रिलायंस, आदित्य बिड़ला समूह, शॉपर्स स्टॉप सहित कई नामी-गिरानी घरेलू कंपनियों के इस तरह के स्टोर हैं.
एकल ब्रांड खुदरा दूकान (Single brand Retail Shop): इन स्टोर में एक ही ब्रांड के उत्पादों की बिक्री होती है. आमतौर पर विदेशों के महंगे ब्रांड इस तरह के स्टोर खोलती हैं. लुइ विटो, फेंडी, जिम्मी चू जैसा ब्रांड के दुकान इस श्रेणी में आते हैं.
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