बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी ने प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली लागू करने के मामलों को देख रही राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष पद से 17 जून 2013 को इस्तीफा दे दिया.
जनता दल यूनाईटेड (जदयू) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गठबंधन टूटने के बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार में शामिल भाजपा के सभी मंत्री हटा दिए गए थे. सुशील कुमार मोदी को भी इसी कारण बिहार के वित्तमंत्री पद से हटा दिया गया था और परंपरागत रूप से जीएसटी समिति के अध्यक्ष का पद किसी विपक्षी वित्त मंत्री के पास रहता है. इसी कारण से सुशील कुमार मोदी ने जीएसटी समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया.
सुशील कुमार मोदी को वर्ष 2011 में पश्चिम बंगाल के पूर्व वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता की जगह जीएसटी समिति का अध्यक्ष बनाया गया था. पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा सरकार की हार के बाद असीम दासगुप्ता ने समिति के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया था.
जीएसटी विधेयक को संसद में वर्ष 2010 में पेश किया गया था. वर्तमान में वित्त पर स्थायी समिति इसकी जांच कर रही है. समिति द्वारा रिपोर्ट दिए जाने के बाद राज्य और केंद्र मसौदे को अंतिम रूप दिया जाना है और इसे संसद को भेजा जाना है. इस विधेयक पर 80 प्रतिशत सहमति बन चुकी है. जीएसटी से वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक समान कर व्यवस्था अस्तित्व में आनी है. इसके क्रियान्वयन के बाद ज्यादातर अप्रत्यक्ष कर समाप्त हो जाने हैं.
वस्तु व सेवा कर (Goods and Services Tax)
वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) एक उपभोग कर है, यह वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाने वाले अप्रत्यक्ष कर कर है. इसके तहत कराधान बहुत ही सरल हो जाता है, करों की दरें भी कम हो जाती हैं, कराधान के दायरे में ज्यादा से ज्यादा लोग आ जाते हैं, करों से प्राप्त होने वाला राजस्व कई गुना बढ़ जाता है. कर राजस्व की बढ़ोतरी की लालसा करने वाले राज्य और केन्द्र सरकारों के लिए यह एक बेहतर विकल्प है, इसलिए वह इसे खारिज नहीं कर सकती. परंतु इस व्यवस्था के लागू किए जाने के कारण पुरानी व्यवस्था उलट पुलट हो जानी है और अनेक राज्य यह अनुमान लगाने में विफल हो रहे हैं कि इसके कारण कुछ मदों में उनको कितना नुकसान होना है. यही कारण है कि वह इसका विरोध कर रहे हैं.
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