ब्रिक्स देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने परस्पर सहमति वाले क्षेत्रों में बहुपक्षीय अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) परियोजनाओं के समर्थन के लिए संसाधनों के सह-निवेश हेतु मास्को घोषणा पर हस्ताक्षर किए.
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 28 अक्टूरबर 2015 को मॉस्को में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के लिए आयोजित ब्रिक्स मंत्रियों की तीसरी बैठक में इस आशय के एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसे ‘मॉस्को घोषणापत्र’ नाम दिया गया.
यह घोषणापत्र साझा वैश्विक और क्षेत्रीय सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों के समाधान और विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) के रूप में इस तरह के संचालकों के उपयोग में ब्रिक्स की साझेदारी को दर्शाता है.
ब्रिक्स के एसटीआई मंत्री ने इन पर सहमति जताई:
- मेगा विज्ञान परियोजनाओं सहित बड़े शोध प्रतिष्ठानों के भीतर सहयोग, ब्रिक्स देशों के मौजूदा व्यापक राष्ट्रीय कार्यक्रम का समन्वनय
- बहुपक्षीय संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए ब्रिक्स रूपरेखा कार्यक्रम तैयार करना एवं उस पर अमल, प्रौद्योगिकी का व्यवसायीकरण और नवाचार
- ब्रिक्स अनुसंधान एवं नवाचार नेटवर्किंग मंच (प्लेचफॉर्म) की स्थापना
ब्रिक्स कार्य योजना 2015-18
ब्रिक्स के एसटीआई मंत्रियों ने ब्रिक्स विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सहयोग पर एक ब्रिक्स कार्य योजना 2015-18 का भी अनुमोदन किया. ब्राजील की अगुवाई में पहले से सहमत विषयगत क्षेत्रों जैसे प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम और शमन में ब्रिक्स सहयोग के विस्तृत तौर-तरीकों, रूस के नेतृत्व में जल संसाधन और प्रदूषण से निपटने, भारत की अगुवाई में विकास के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी और उसके उपयोग; चीन के नेतृत्व में बिजली (लाइटनिंग) की अच्छीा व्यवस्था पर फोकस करते हुए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता का जिक्र इस कार्य योजना में किया गया. ब्रिक्स एसटीआई सहयोग के लिए इस कार्य योजना में भारत और रूस के संयुक्त नेतृत्व में कुछ नए क्षेत्रों जैसे नैनोटेक्नोलॉजी और फोटोनिक्स सहित पदार्थ विज्ञान को भी शामिल किया गया.
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