भंडारण अधिनियम (विनियमन और विकास), 2007 को केंद्र सरकार द्वारा 25 अक्टूबर, 2010 से लागू किया गया. इस अधिनियम के तहत सरकार ने भंडारण विकास और विनियमन प्राधिकरण गठित करने का निर्णय लिया. प्राधिकरण में एक अध्यक्ष और दो सदस्य होगें.
प्राधिकरण का उद्देश्य
इसका उद्देश्य खरीद फरोख्त के लायक रसीद धारकों के हितों की रक्षा करना, उनको जालसाजी, भ्रष्टाचार और धोखेबाजों से बचाना है.
प्राधिकरण का कार्य
नियामक प्राधिकरण का कार्य माल गोदामों का पंजीकरण करना, मान्यता प्रदान करना, तथा खरीद फरोख्त के लायक रसीद जरी करना है. इसके अतिरिक्त गुणवत्ता प्रमाणपत्र और वस्तुओं का श्रेणीकरण व्यवस्था स्थापित करना है.
प्राधिकरण से लाभ
खरीद फरोख्त के लायक रसीद व्यवस्था आरम्भ करने से निम्नलिखित लाभ हैं.
• किसानों को बेहतर क्रेडिट सुविधा का लाभ मिलेगा.
• किसान घबराहट में माल बेंचने से बच जाएगें.
• वित्तीय संस्थानों को किसानों को ऋण देने में कम जोखिम होगा.
• खरीद फरोख्त के लायक रसीद के रूप में कृषि उत्पादों के साथ ही कानूनी रूप से मान्य एक रसीद होने से ग्रामीण इलाकों में ऋण देने की रफ़्तार में तेजी आएगी.
• ऋण की लागत में कमी आएगी, और इससे जुड़ी गतिविधियों जैसे श्रेणीबद्ध करना, पैकेजिंग और बीमा के साथ हीमाल गोदामों के गुणवत्ता के विकास में भी मदद मिलेगी.
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