भारत और पाकिस्तान को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का पूर्ण सदस्य के रुप में शामिल करने का निर्णय 10 जुलाई 2015 को किया गया. भारत को एससीओ का पर्यवेक्षक 2005 में बनाया गया था. कुछ प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद तकनीकी रुप से वर्ष 2016 में भारत इसका पूर्ण सदस्य बन जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आभार व्यक्त करते हुए छह देशों वाले इस संगठन से कनेक्टिविटी बढाने, आतंकवाद से लडने और बाधाओं को दूर कर कारोबार अनुकूल वातावरण बनाने की दिशा में काम करने की पेशकश की.
भारत ने वर्ष 2014 में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) पूर्ण सदस्यता का आवेदन किया था.
भारत की उर्जा और संसाधन की बढती जरुरतें और भारत में मौजूद एक बडा बाजार एससीओ क्षेत्र में समृद्धि लाने के लिए अहम भूमिका निभा सकता है.
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का पूर्ण सदस्य बनने के लिए इसके 6 सदस्यों- चीन, रुस, कजाखस्तान, किर्गिजस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान द्वारा सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव के मंजूरी की जरूरत होती है. रूस सुरक्षा समूह की पूर्ण सदस्यता के लिए भारत का मुख्य समर्थक था.
शंघाई सहयोग संगठन
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) एक क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठन है. इसकी स्थापना चीन, रूस, कज़ाख़स्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और उज़्बेकिस्तान के नेताओं द्वारा शंघाई में 15 जून 2001 को की गई थी.
अप्रैल 1996 में शंघाई में हुई एक बैठक में चीन, रूस, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों से निबटने के लिए सहयोग करने पर राज़ी हुए थे. इसे शंघाई फ़ाइव कहा गया था. जून 2001 में चीन, रूस और चार मध्य एशियाई देशों कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़बेकिस्तान के नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन शुरू किया और नस्लीय और धार्मिक चरमपंथ से निबटने और व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए समझौता किया. शंघाई फ़ाइव के साथ उज़बेकिस्तान के आने के बाद इस समूह को शंघाई सहयोग संगठन कहा गया.
रूस, चीन, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान, तज़ाकिस्तान और उज़बेकिस्तान एससीओ के स्थायी सदस्य देश हैं.
शंघाई सहयोग संगठन के छह सदस्य देशों का भूभाग यूरोशिया का 60 प्रतिशत है. यहां दुनिया के एक चौथाई लोग रहते हैं.
संगठन का मुख्य उद्देश्य
• आतंकवाद, अलगाववाद, उग्रवाद व मादक पदार्थों की तस्करी के विरुद्ध संघर्ष करना.
• आर्थिक सहयोग, ऊर्जा के क्षेत्र में साझेदारी, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना.
• मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताओं के मद्देनज़र सहयोग बढ़ाना.
एससीओ का अन्य संगठनों के साथ संबंध
एससीओ ने संयुक्त राष्ट्र से भी संबंध स्थापित किए हैं और यह महासभा में पर्यवेक्षक है. एससीओ ने यूरोपीय संघ, आसियान, कॉमनवेल्थ और इस्लामिक सहयोग संगठन से भी संबंध स्थापित किए हैं.
शंघाई सहयोग संगठन के पर्यवेक्षक देश
वर्ष 2005 में कज़ाकस्तान के अस्ताना में हुए सम्मेलन में भारत, ईरान, मंगोलिया और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने भी पहली बार हिस्सा लिया.
भारत एससीओ में पर्यवेक्षक देश रहा है. रूस भारत को स्थायी सदस्य के तौर पर जुड़ने के लिए प्रेरित करता रहा. चीन ने भी एससीओ में भारत का स्वागत किया है. भारत ने सितंबर 2014 में एससीओ की सदस्यता के लिए आवेदन किया था. भारत 2016 तक स्थायी सदस्यता हासिल करने की प्रक्रिया में है.
पाकिस्तान भी एससीओ का पर्यवेक्षक देश है. रूस और चीन ने पाकिस्तान की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है. पाकिस्तान भी स्थायी सदस्यता हासिल करने की प्रक्रिया में है.
ईरान को भी पर्यवेक्षक देश का दर्जा प्राप्त है. हालांकि संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के कारण ईरान फिलहाल एससीओ में शामिल नहीं हो सकता है.
अमेरिका ने वर्ष 2005 में संगठन में पर्यवेक्षक देश बनने के लिए आवेदन किया था जिसे नकार दिया गया था.
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