न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा (न्यायमूर्ति आरएम लोढा) सर्वोच्च न्यायालय के 41वें प्रधान न्यायाधीश के पद से 27 सितंबर 2014 को सेवानिवृत्त हुए. न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा ने 27 अप्रैल 2014 को भारत के 41वें प्रधान न्यायाधीश के पद की शपथ ली. न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा ने 27 अप्रैल 2014 को सेवानिवृत्ति हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सदाशिवम का स्थान लिया.
प्रधान न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल पांच माह का रहा.
पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सदाशिवम की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति ने न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा को भारत का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया.
प्रधान न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा ने कोयला आवंटन घोटाले में निर्णय किया था.
न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढा की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की बेंच ने 24 सितम्बर 2014 को वर्ष 1993 और वर्ष 2010 के बीच आवंटित 218 कोल ब्लॉक में से सिर्फ चार सरकारी कोल ब्लॉक को छोड़कर शेष सभी कोल आवंटन रद्द कर दिए.
पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएम लोढा से संबंधित मुख्य तथ्य
• न्यायमूर्ति आरएम लोढा वर्ष 1973 में राजस्थान बार काउंसिल में पंजीकृत हुए.
• उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय में वकालत के दौरान संवैधानिक, सिविल, कंपनी, आपराधिक, कराधान और श्रम जैसी कानून की सभी शाखाओं की वकालत की.
• जनवरी 1994 में वे राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए और 15 दिन बाद ही उन्हें बंबई उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया.
• न्यायमूर्ति लोढा 13 वर्ष तक बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे. फरवरी 2007 में वे पुनः राजस्थान उच्च न्यायालय स्थानांतरित हुए.
• वह 13 मई 2008 को पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने.
• वह 17 दिसंबर 2008 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद पर नियुक्त हुए.
• न्यायमूर्ति आरएम लोढा का जन्म राजस्थान के जोधपुर में वर्ष 1949 में हुआ था.
• उनके पिता एसके मल लोढा भी राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे.
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