भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का ओड़िशा के बालासोर जिले के चांदीपुर तट पर स्थित एकीकृत परीक्षण केंद्र (आईटीआर) से 29 जुलाई 2012 को सफल प्रायोगिक परीक्षण किया. मिसाइल में 25 नए उपकरण लगाए गए, जिनका परीक्षण करने के लिए यह प्रायोगिक परीक्षण हुआ. ब्रह्मोस मिसाइल का यह 32वां परीक्षण था.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम से बनी ब्रह्मोस मिसाइल की चौड़ाई 670 मिलीमीटर, वजन करीब तीन टन है और लंबाई 9 मीटर है. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 290 किलोमीटर तक मार करने और 300 किलोग्राम तक का भार लेकर जाने की क्षमता रखती है. ब्रह्मोस मिसाइल की अधिकतम गति 2.8 मैक है. ब्रह्मोस मिसाइल दुनिया की सबसे तीव्र गति वाली क्रूज मिसाइल है. ब्रह्मोस मिसाइल राडार पर नजर आए बिना सतह पर स्थित ठिकानों को निशाना बना सकती है. ब्रह्मोस मिसाइल पनडुब्बियों, पोतों और विमानों से छोड़ी जाने में सक्षम है. ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की नदी मस्कवा के नाम पर रखा गया है.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के समुद्री और जमीनी संस्करणों का सफलतापूर्वक परीक्षण हो गया है और उन्हें सेना और नौसेना की सेवा में शामिल किया जा चुका है. इस मिसाइल का जहाज से पहला परीक्षण फरवरी 2003 में किया गया था. ब्रह्मोस का इससे पहले सफल परीक्षण 28 मार्च 2012 को किया गया था.
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