भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 18 मई 2014 को 15वीं लोकसभा भंग की. उन्होंने 17 मई 2014 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफा देने के बाद निवर्तमान केंद्रीय मंत्रिमंडल के नेतृत्व में लोकसभा भंग की.
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 16वीं लोकसभा के चुनाव के चुनाव परिणाम के लिए एक अनुवर्ती के रूप में 15वीं लोकसभा भंग करने के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश की. संसद के निचले सदन को भंग करने से नई सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त होगा.
मुख्य चुनाव आयुक्त वी एस संपत की अध्यक्षता में निर्वाचन आयोग (ईसी) ने 16वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित 543 सदस्यों की सूची राष्ट्रपति को सौप दी. यह सूची जनप्रतिनिधित्व अनुच्छेद 1951 की धारा 73 के तहत प्रस्तुत की गयी.
लोकसभा भंग होने की प्रक्रिया
भारत के राष्ट्रपति के पास भारत के संविधान के अनुच्छेद 85(2) (बी) के अनुसार लोकसभा भंग करने की शक्ति है. इस मामले में, राष्ट्रपति निवर्तमान केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर निर्णय करता है.
संविधान के अनुच्छेद 85 के अनुसार संसद, सत्रावसान और विघटन के सत्र से संबंध में यह कहा गया है कि :
(1) राष्ट्रपति अपने अनुसार समय - समय पर संसद के प्रत्येक सदन की बैठक को बुलाने का अधिकार रखता है लेकिन छह महीने के अपने पिछले एक सत्र में बैठे और अगले सत्र में अपनी पहली बैठक की नियत तारीख के बीच का अंतर 6 महीने नहीं होगा.
(2) राष्ट्रपति समय - समय पर बैठक बुला सकता है
(3) राष्ट्रपति सदन को स्थगित कर सकता है
(4) राष्ट्रपति लोक सभा भंग कर सकता है
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