भारत ने अपनी परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम अग्नि-3 बैलिस्टिक मिसाइल का ओडिशा के तटीय व्हीलर द्वीप से सफल प्रायोगिक परीक्षण 16 अप्रैल 2015 को किया.
स्वदेश में विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली अग्नि-3 मिसाइल का व्हीलर द्वीप पर एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के परिसर चार से सचल प्रक्षेपक द्वारा प्रायोगिक परीक्षण किया गया.
यह अग्नि तृतीय श्रृंखला का तीसरा प्रायोगिक परीक्षण था. यह परीक्षण मिसाइल के प्रदर्शन के दोहराव के लिए किया गया. आंकड़ों के विश्लेषण के लिए परीक्षण के संपूर्ण पथ की निगरानी तट पर स्थापित विभिन्न टेलीमेट्री स्टेशनों, इलेक्ट्रो ऑप्टिक प्रणालियों और अत्याधुनिक रडारों तथा प्रभाव बिंदु के समीप खड़े नौसेना के पोतों के माध्यम से की गई.
सतह से सतह तक मार करने वाले मिसाइल का परीक्षण भारतीय सेना के सामरिक बल कमांड (एसएफसी) द्वारा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की सहायता से किया गया.
एसएफसी भारत के परमाणु कमान प्राधिकरण (एनसीए) का एक हिस्सा है जो देश के सामरिक और रणनीतिक परमाणु हथियार भंडार के प्रबंधन और प्रशासन के लिए जिम्मेदार है.
अग्नि-3 से सम्बंधित मुख्य तथ्य
- अग्नि-3 मिसाइल तीन हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तक मार कर सकती है.
- अग्नि-3 मिसाइल उन्नत, उच्च, सटीकता वाली नेविगेशन प्रणाली से युक्त है और एक नवीन निर्देशित योजना द्वारा निर्देशित है.
- इसका प्रक्षेपण सेना द्वारा प्रायोगिक परीक्षण के तहत किया गया.
- अग्नि-3 मिसाइल में दो स्तर की ठोस प्रणोदक प्रणाली है.
- 17 मीटर लंबी मिसाइल का व्यास 2 मीटर है और प्रक्षेपण के समय इसका भार करीब 50 टन है.
- यह डेढ़ टन वजनी वारहैड ले जा सकती है.
- रेल मोबाइल प्रणाली से युक्त अग्नि-3 मिसाइल को देश के किसी भी हिस्से से छोड़ा जा सकता है.
- अग्नि-3 मिसाइल को डीआरडीओ के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित किया गया.
- अग्नि-3 मिसाइल को जून 2011 में सेना में शामिल किया गया था.
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