भारत सरकार ने देश की पहली व्यापक किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम जिसका नाम राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) है, की नई दिल्ली से 7 जनवरी 2014 को शुरूआत की. कार्यक्रम में किशोरों के यौन स्वास्थ्य पर खास ध्यान दिया जाना शामिल है.
कार्यक्रम का शुभारंभ केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद द्वारा किया गया. स्वास्थ्य मंत्री ने इसके साथ तीन दिनों के राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य परामर्श का भी उद्घाटन किया. आरकेएसके के अनुसार शहरी और ग्रामीण इलाकों के 10 से 19 वर्ष तक के व्यक्ति – चाहे वह लड़का हो या लड़की, विवाहित हो या अविवाहित, गरीब हो या अमीर, स्कूली छात्र/ छात्रा हों या स्कूल छोड़ चुके हों, किशोर कहलाएंगे. यह व्यापक परिभाषा विभिन्न समूहों और श्रेणियों में किशोरों की असंख्य समस्याओं का समाधान करने में मदद करेगा.
यह कार्यक्रम पूरे भारत में किशोरों के स्वास्थ्य मिशन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और देश की कुल आबादी के 21% यानि 243 मिलियन किशोरों की स्वास्थ्य जरूरतों का समाधान करेगा. आरकेएसके का सोच है कि वे किशोरों को उनकी क्षमताओं का एहसास करा कर उन्हें उनके स्वास्थ्य एवं भलाई संबंधि फैसला करने में मदद करे.
गुलाम नबी आजाद के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को 13 जनवरी 2014 को पोलियो मुक्त देश घोषित कर देगा. जो देश के लिए बहुत बड़ी बात होगी.
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के आयाम
• मानसिक स्वास्थ्य
• पोषण
• पदार्थों का दुरुपयोग
• लिंग आधारित हिंसा
• गैर– संचारी रोग
कार्यक्रम ने समुदाय आधारित सहकर्मी शिक्षकों का सहयोग लेने का सुझाव दिया है और यह अन्य मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों , ज्ञान भागीदारों (नौलेज पार्टनर) और अनुसंधान के सहयोग पर टिकी है.
कार्यक्रम का आरएमएनसीएच+ए के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण होगा (रिप्रोडक्टिव, मैटर्नल, न्यू बॉर्न, चाइल्ड हेल्थ + एडोल्सेंट) जिसमें ‘ए’ एडोल्सेंट को दर्शाता है.
कार्यक्रम सात सी पर जोर देता है:
• कवरेज
• कंटेंट– सामग्री
• कम्युनिकेशन– संचार
• कंसल्टिंग– परामर्श
• क्लिनिक
• कन्वर्जेंस
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