भारत और 14 अन्य देशों को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सदस्य के रूप में 21 मई 2011 को चुना गया. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सदस्य के लिए कुल 189 देशों ने शिरकत की. इनमें एशिया से चार देशों का चयन होना था. इस महाद्वीप से इंडोनेशिया को 184, फिलीपीन्स को 183, भारत को 181 और कुवैत को 166 मत हासिल हुए.
इंडोनेशिया, फिलीपीन्स, भारत, और कुवैत के अलावा बुर्किना फासो, बोत्सवाना, कांगो, बेनिन, चेक गणराज्य, रोमानिया, चिली, कोस्टा रिका, पेरू, इटली और आस्ट्रिया को मानवाधिकार परिषद का सदस्य चुना गया. इन देशों का कार्यकाल 19 जून से आरंभ होना है और यह तीन साल तक इसके सदस्य रहेंगे. ज्ञातव्य हो कि जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कुल 47 सदस्य होते हैं.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सदस्य के मतदान से पूर्व जिनेवा स्थित संगठन यूएन वाच का कहना था कि मानवाधिकार परिषद का सदस्य बनने के लिए बुर्किना फासो, भारत, फिलीपींस और इंडोनेशिया अयोग्य हैं. इस पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप प्रतिनिधि मंजीव सिंह पुरी ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि उनके देश के पास सदस्यता के लिए योग्यता का अभाव है.
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