सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को भारत बांग्लादेश पर तीन महीने में बाड़ लगाने के काम को पूरा करने का निर्देश 17 दिसंबर 2014 को दिया.
यह निर्देश असम में बांग्लादेश के नागरिकों की सीमा पार कर आने की बढ़ रही घटनाओं को रोकने के लिए दिया गया था. सरकार से ऐसे बांग्लादेशी नागरिकों को वापस बांग्लादेश भेजने की प्रक्रिया को कारगर बनाने के बाबत भी पूछा गया.
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि स्वतंत्रता के 67 वर्ष बाद भी आखिर क्यों भारत की पूर्वी सीमा पर बाड़ें नहीं लगाई जा सकीं जबकि पाकिस्तान के साथ लगी सीमा पर बाड़ें उचित तरीके से लगी हुईं हैं. न्यायालय ने आगे कहा कि वह सरकार के कार्रवाई पर निगरानी करेगा और हर तीन महीने पर वह आवधिक स्थिति रिपोर्ट की मांग करेगा. सर्वोच्च न्यायालय ने निर्वासन एवं अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के लिए मौजूदा तंत्र पर नोट लेते हुए सरकार से बांग्लादेश सरकार से बातचीत कर अवैध प्रवासियों की वापसी सुनिश्चित करने को भी कहा.
पीठ द्वारा अपने 70 पन्नों के फैसले में कुछ सुझाव दिए जिनमें शामिल हैं:
• बांग्लादेश से गैरकानूनी उपयोग को रोकने के लिए पीठ ने भारत-बांग्लादेश सीमा के उन जगहों जहां अभी बाड़ लगाई जानी बाकी है, पर, बाड़ (डबल कुंडलित तार की बाड़) लगाने का सुझाव दिया है.
• नदी सीमा पर निरंतर गश्त और प्रभावी चौकसी.
• दुर्गम क्षेत्र होने के कारण अंतरराष्ट्रीय सीमा के ऐसे हिस्सों की निगरानी करना जो गैरकानूनी प्रवेश का साधन बनते हैं.
• प्रभावी एवं गहन गश्त के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ उन इलाकों में जहां सड़कें अधूरी हैं या बनाई नहीं गईं हैं, वहां उन्हें पूरा करने, बनाने का सुझाव.
• जरूरी जगहों पर फ्लड लाइटें लगाना.
• असम के नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) को अपडेट करना ताकि जनवरी 2016 के अंत तक अपडेट की गई एनआरसी प्रकाशित की जा सके.
• पीठ ने केंद्र सरकार को 25 मार्च 1971 के बाद असम आए सभी अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें वापस भजने को कहा और सलाह दी कि कानून के मुताबिक 1 जनवरी 1966 और 24 मार्च 1971 के बीच भारत आने वाले विदेशियों को नागरिकता देने की सलाह दी.
नागरिकता अधनियम, 1955 की धारा 6 ए की संवैधानिक वैधता
इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए कट ऑफ तारीख के संबंध में नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6 ए की संवैधानिक वैधता के मुद्दे पर फैसला करने के लिए एक बड़ी बेंच का मामला संदर्भित किया.
बेंच ने कहा, नागरिकता अधिनियम की धारा 6 ए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 325 और 326 का उल्लंघन करती है और यह असम राज्य के नागरिकों के राजनैतिक अधिकार को कम कर देती है.
यह निर्देश सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएफ नरिमन एवं न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने पारित किया था. ये निर्देश असम सनमिलिता महासंघ, असम लोकनिर्माण एवं ऑल असम अहोम एसोसिएशन की दलीलों पर सुनवाई करते हुए दिए गए थे.
इन तीनों संगठनों ने वर्ष 2012 और वर्ष 2014 में असम में हुए बड़े पैमाने पर दंगों जिसमें काफी संख्या में लोग मारे गए थे, के बाद याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि भारत की संप्रभुता और अखंडता पड़ोसी देश से आने वाले बड़ी तादात में अवैध प्रवासियों के कारण दांव पर है और उसके प्रमुख संवैधानिक मूल्यों को प्रभावित किया है.
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