ब्रिटेन की साउथेम्पटन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक प्रोजेक्ट लेटिस ऑन मार्स (मंगल ग्रह पर प्रोजेक्ट लेटिस) के तहत वर्ष 2018 में मंगल पर लेटिस उगाने की योजना बना रहे हैं. इस परियोजना के तहत टीम पृथ्वी से बहुत कम सामग्री ले जाकर मंगल ग्रह के वातावरण से प्राप्त गैसों की मदद से छोटे पौधे विकसित करेगी.
परियोजना का उद्देश्य यह साबित करना है कि ग्रीनहाउस वातावरण में पौधा विकसित किया जा सकता है और मंगल ग्रह के संसाधन का प्रबंधन वहां स्थायी मानव बस्ती बसाने के लिए उचित तरीके से किया जा सकता है.
सुजान्ना लुकारोट्टी के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम लेटिस के रूप में एक पेलॉड के जरिए अपनी परियोजना का प्रदर्शन करेगी जिसे 2018 में मार्स वन लैंडर मंगल ग्रह पर ले जाएगा.
मार्स वन लैंडर मार्स वन द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा जो कि एक गैर– लाभकारी संघ है. इसका उद्देश्य वर्ष 2026 तक मंगल पर एक स्थायी मानव बस्ती स्थापित करना है.
मंगल पर लेटिस कैसे विकसित होगा?
परियोजना के लिए ग्रीनहाउस पृथ्वी से लेटिस के बीजों, पानी, पोषक तत्वों और वायुमंडलीय प्रसंस्करण एवं निगरानी प्रणालियों के साथ भेजा जाएगा.
योजना के मुताबिक, मंगल ग्रह की यात्रा के दौरान ग्रीनहाउस का संचालन बंद कर दिया जाएगा. मंगल ग्रह पर मार्स वन लैंडर के पहुंचने के बाद ग्रीनहाउस का संचालन फिर से प्रारंभ कर दिया जाएगा. यह तापमान को 21 से 24 डिग्री सेंटिग्रेट के बीच बनाए रखने में मदद करेगा. पौधों के जीवन के लिए अनिवार्य कार्बन डाइऑक्साइड मंगल के वायुमंडल से लिया जाएगा और उसे ग्रोथ चैंबर में भेजने से पहले प्रसंस्कृत किया जाएगा. इसके बाद बिना मिट्टी और पानी से बढ़े लेटिस पर समय– समय पर पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाएगा.
मिशन के पूरा होने पर पेलॉड के जीवन को नष्ट करने के लिए पूर्ण बिजली हेतु हीटर को चालू कर दिया जाएगा.
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