1972 बैच के झारखंड कैडर की भारतीय प्रशासनिक अधिकारी सुषमा सिंह का चयन भारत के 5वें मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) के लिए किया गया. इनके चयन संबंधी निर्णय नियुक्ति संबंधी पैनल ने 5 दिसंबर 2013 को किया. मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) के रूप में सुषमा सिंह की नियुक्ति का निर्णय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और कानून मंत्री कपिल सिब्बल की समिति द्वारा सर्वसम्मति से लिया गया.
सुषमा सिंह को 18 दिसम्बर 2013 को सेवानिवृत हो रही दीपक संधू का स्थान लेना है.
सुषमा सिंह मुख्य सूचना आयुक्त हेतु चयनित होने वाली दूसरी महिला बनीं. दीपक संधू पहली महिला मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) हैं.
मुख्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल पदग्रहण से 5 वर्ष तक या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले पूरी हो) है. वजाहत हबीबुल्लाह भारत के पहले मुख्य सूचना आयुक्त थे.
सुषमा सिंह से सम्बंधित मुख्य तथ्य
• सुषमा सिंह 1972 बैच के झारखंड कैडर की भारतीय प्रशासनिक अधिकारी है.
• झारखंड अलग राज्य बनने के बाद सुषमा सिंह राज्य की पहली गृह सचिव नियुक्त हुईं.
• सुषमा सिंह केंद्रीय सूचना आयोग में 23 सिंतबर 2009 से सूचना आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं.
• वह भारत सरकार की पूर्व सचिव भी रहीं.
• उन्होंने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सचिव के रूप में भी काम किया.
• इसके अलावा वह पंचायती राज मंत्रालय और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए गठित मंत्रालय में भी सचिव के रूप में काम किया है.
केन्द्रीय सूचना आयोग
केन्द्रीय सूचना आयोग का गठन वर्ष 2005 में किया गया था. भारत सरकार ने अपने नागरिकों के जीवन को सहज, सुचारु रखने और देश को पूरी तरह लोकतांत्रिक बनाने एवं सरकारी पारदर्शिता के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 स्थापित किया था.
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में नागरिकों के अनुरोध पर समय से सरकारी सूचना का उत्तर देने का अधिदेश दिया गया है. यह प्रथम अपीलीय प्राधिकारियों, लोक सूचना अधिकारियों आदि द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरणों के संबंध में शीघ्र जानकारी प्राप्त करने के लिए नागरिकों को आर.टी.आई. पोर्टल प्रदान करने तथा भारत सरकार एवं राज्य सरकारों के अतंर्गत आने वाले विभिन्न लोक प्राधिकारियों द्वारा वेब पर प्रकाशित सूचना के अधिकार से जुडी़ जानकारी /प्रकटन के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय द्वारा की गई एक पहल है.
"राइट टू इन्फॉरमेशन" (आरटीआई) का अर्थ है- 'सूचना का अधिकार' और इसे संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है. आरटीआई के तहत हर नागरिक को यह जानने का अधिकार है कि सरकार कैसे कार्य करती है.
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