राजस्थान, राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) बिल 2014 को अपनाने वाला भारत का पहला राज्य बन गया. राजस्थान की विधानसभा ने इसे 17 सितंबर 2014 को सर्वसम्मति से पारित किया.
राजस्थान विधानसभा ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) के बारे में उल्लेख किए गए 121वें संविधान संशोधन विधेयक को भी अपनाया.
बिल को अपनाकर राजस्थान में उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण की दो दशक पुरानी कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त किया गया.
यह एनजेएसी द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए लोगों की सिफारिश की प्रक्रिया को निर्धारित करेगा.
संसद द्वारा अगस्त 2014 में विधेयक पारित किए जाने के बाद से, एनजेएसी बिल को भारत के संविधान के अनुच्छेद 368 के अनुसार राज्यों को भेजा गया था. अनुच्छेद 368 संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्रदान करता है लेकिन इस संशोधन को राष्ट्रपति के समक्ष मंजूरी के लिए प्रस्तुत करने से पहले कम–से–कम कुल राज्यों की संख्या के आधे राज्यों की विधायिका द्वारा इसकी स्वीकृति आवश्यक है.
परिणामस्वरुप, एनजेएसी बिल को राष्ट्रपति से मंजूरी के लिए भेजे जाने से पहले कम–से–कम 15 राज्यों द्वारा अपनाए जाने की जरूरत है. राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह अधिनियम बन जाएगा.
संविधान का अनुच्छेद 368
भारत के संविधान के भाग XX में दिए गए अनुच्छेद 368 में संविधान के संशोधन के प्रावधानों का उल्लेख है. अनुच्छेद 368 संसद को संविधान औऱ प्रक्रिया में संशोधन का अधिकार प्रदान करता है.
उप खंड 368 (2) राज्य में कोई भी संशोधन जो कि किसी भी प्रकार का परिवर्तन करना चाहता है;
क) अनुच्छेद 54, अनुच्छेद 55, अनुच्छेद 73, अनुच्छेद 162 या अनुच्छेद 241 या
ख) भाग V का अध्याय IV, भाग VI का अध्याय V या भाग XI का अध्याय I, या
ग) सातवीं अनुसूची की कोई भी सूची, या
घ) संसद में राज्य का प्रतिनिधित्व, या
ङ) इन अनुच्छेद के उपबंध
विधेयक को प्रावधान बनाने के लिए राष्ट्रपति के समक्ष पेश करने से पहले उन विधानमंडलों द्वारा पारित कम–से–कम राज्यों की कुल संख्या की आधी संख्या के विधानमंडलों द्वार संशोधन को अपनाए जाने की आवश्यकता होगी. अनुच्छेद 13 में ऐसा कुछ भी नहीं है जो इस अनुच्छेद के अधीन किए गए किसी संशोधन पर लागू हो.
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