राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 5 नवंबर 2015 को कृषि प्रसंस्करण को बढ़ावा देने और फसल में होने वाले नुकसान को कम करने के लिए राजस्थान कृषि प्रसंस्करण और कृषि-विपणन संवर्धन नीति 2015 का शुभारंभ किया.
राजस्थान सरकार का कृषि विभाग नीति के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा और राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड नीति के लिए नोडल एजेंसी होगा.
नीति का उद्देश्य किसान को कृषि उपज का अधिकतम मूल्य दिलवाना है. राज्य सरकार ने नीति के शुभारंभ के समय विभिन्न क्षेत्रों में निजी कंपनियों के साथ 112 सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए.
कृषि प्रसंस्करण और 2015 कृषि विपणन संवर्धन नीति के प्रावधान
• राजस्थान कृषि प्रसंस्करण और कृषि-विपणन सामान्य प्रावधानों की तुलना में अधिक प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना, 2014 के तहत शामिल किया गया है.
• इसके अलावा पेटेंट उत्पादों पर अतिरिक्त प्रोत्साहन, उत्पाद पंजीकरण, गुणवत्ता प्रमाणीकरण के लिए सब्सिडी का प्रावधान, विदेशों में नमूने भेजना, परियोजना रिपोर्ट तैयार करना, फल, सब्जियों और मसालों को विदेश भेजने के लिए परिवहन उपलब्ध करानाहोगा आदि शामिल है.
• निवेशक कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र में 25 लाख रुपये से अधिक का निवेश करेंगे. निवेशकों को 60 प्रतिशत पूंजी सब्सिडी प्रदान की जाएगी. इससे 10 प्रतिशत रोजगार का सृजन होगा.
• इन निवेशकों को भूमि कर, बिजली शुल्क और मंडी कर, स्टांप शुल्क, रूपांतरण शुल्क और एंट्री टैक्स राज्य में संयंत्र और मशीनरी और 7 साल तक उपकर में 50 प्रतिशत छूट दी जाएगी.
• मवेशी फीड और पोल्ट्री फीड निर्माण इकाइयों को 5 साल की अवधि के ऋण पर या ऋण समाप्ति तक जो भी पहले जमा किया जाता है पर 5 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी दी जाएगी.
• ऐसे उद्यमी को जो एक ही उद्यम में 250 व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजन करेगा या खेती सम्बन्धी विशिष्ट उत्पाद इकाई को 100 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश प्रदान किया जाएगा.
• फूड पार्क के लिए भूमि हस्तांतरण पर पहली बार स्टांप शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट में प्रदान की जाएगी.
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