राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 14 जुलाई 2014 को पांच राज्यों हेतु राज्यपालों को नियुक्त किया. इनमें उत्तर प्रदेश के राज्यपाल पद हेतु राम नाइक, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल पद हेतु बलरामजी दास टंडन, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पद हेतु केसरीनाथ त्रिपाठी एवं गुजरात के राज्यपाल पद हेतु ओपी कोहली के नाम की घोषणा की गई. पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य को नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया. उन्हें त्रिपुरा के राज्यपाल की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी दी गयी.
नवनियुक्त पांच राज्यों के राज्यपालों से संबंधित मुख्य तथ्य
• केसरीनाथ त्रिपाठी (राज्यपाल-पश्चिम बंगाल) तीन बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष (स्पीकर) रह चुके हैं. वे उत्तर प्रदेश के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद पर भी रहें.
• राम नाइक (राज्यपाल- उत्तर प्रदेश) एनडीए सरकार में पेट्रोलियम मंत्री रह चुके हैं. सितंबर, 2013 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया.
• बलरामजी दास टंडन (राज्यपाल- छत्तीसगढ़) ने पंजाब विधान सभा में पांच बार अमृतसर, एक बार राजपुरा का प्रतिनिधित्व किया.
• ओपी कोहली(राज्यपाल- गुजरात) भाजपा की छात्र शाखा विद्यार्थी परिषद के संस्थापक सदस्यों में एक हैं. वह राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं.
• पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य(राज्यपाल- नगालैंड) ‘ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी’ के सह-संस्थापक हैं. इसके साथ ही साथ वे भाजपा के पूर्वोत्तर राज्यों के कार्यकारी समूह के सदस्य भी रह चुके हैं.
विदित हो कि राज्यपाल की नियुक्ति, भारत के संविधान के ‘अनुच्छेद 158’ के तहत राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष होता है. ये राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यन्त अपने पद पर रहते हैं. राज्यपाल भारत के राज्यों के सांवैधानिक प्रमुख होते हैं. ये अपने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी होते हैं. इनकी स्थिति राज्य में वहीं होती है, जो केन्द्र में राष्ट्रपति की होती है.
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