ये खामोशी कहां तक: लेफ्टिनेंट जनरल शाहिद अजीज
“ये खामोशी कहां तक” नामक पुस्तक वर्ष 1999 में पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट के समय डीजी सेना ऑपरेशन रहे “लेफ्टिनेंट जनरल शाहिद अजीज” द्वारा लिखित है. यह लेफ्टिनेंट जनरल शाहिद अजीज की आत्मकथा है.
इस पुस्तक में वर्ष 1999 में पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट के समय प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सरकार के खिलाफ मुशर्रफ की साजिश का खुलासा किया गया है. यह पुस्तक उर्दू में लिखी गई है.
पुस्तक में लिखा है कि आर्मी हाउस में सेना के उच्च अधिकारियों की कई बैठकें हुईं. सेना की बदनाम 111 ब्रिगेड को लिखित निर्देश दिए गए थे कि 12 अक्टूबर 1999 से पहले वह तख्तापलट के लिए तैयार रहें. इस ब्रिगेड ने आजादी के बाद के हर तख्तापलट में मुख्य भूमिका निभाई है. इस साजिश में तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल अजीज खान, कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिेनेंट जनरल महमूद, मेजर जनरल अहसानुल हक (आइएसआइ के डीजी भी रहे), ब्रिगेडियर राशिद कुरैशी, ब्रिगेडियर नदीम ताज और मेजर जनरल अजीज शामिल थे.
इस किताब के मुताबिक मुशर्रफ ने श्रीलंका जाने से पहले लेखक अजीज, महमूद और खान को बुलाकर कहा कि आप तीनों सरकार को हटाने का आदेश जारी करेंगे. मुशर्रफ ने कहा कि तीनों को यह जिम्मेदारी इसलिए दी जा रही है ताकि यदि आप किसी कारणवश मिल न पाएं या फिर बात न कर पाएं तो भी तख्तापलट की कार्रवाई को अंजाम दिया जा सके.
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