भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को 23 अप्रैल 2014 को सूचित किया कि लोकपाल के अध्यक्ष या सदस्यों की नियुक्ति पर तत्काल कोई फैसला नहीं लेने जा रही. केंद्र सरकार के इस निर्णय से इस बात का संकेत मिलता है कि लोकपाल के अध्यक्ष या सदस्यों की नियुक्ति संबंधी फैसला आम चुनावों के बाद बनने वाली सरकार करेगी.
भारत सरकार के इस निर्णय की जानकारी सॉलिसिटर जनरल मोहन प्रसन्ना ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ को दिया. सॉलिसिटर जनरल की सूचना के बाद सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए 5 मई 2014 का दिन तय किया.
अगली सुनवाई की तारीख देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि फिलहाल उस जनहित याचिका पर कोई अंतरिम आदेश की जरुरत नहीं है जिसमें लोकपाल के चयन को चुनौती दी गई थी, क्योंकि सरकार ने यह आश्वासन दिया है कि अगली सुनवाई तक कोई भी फैसला नहीं लिया जाएगा.
पृष्ठभूमि
वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयंसेवी संगठन कॉमन कॉज द्वारा दायर याचिका की सुनवाई कर रही है. स्वयंसेवी संगठन ने अपनी याचिका में लोकपाल के अध्यक्ष और उसके सदस्यों की पूरी चयन प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की है. कॉमन कॉज ने अपनी याचिका में कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के मना करने के बाद भी सरकार लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की दिशा में काम कर रही है. कॉमन कॉज द्वारा जनहित याचिका दायर करने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 31 मार्च 2014 को लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की चयन पर सरकार की प्रतिक्रिया मांगते हुए एक नोटिस जारी किया था. उसने केंद्र सरकार को लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2014 आने वाले सर्च समिति नियम, 2014 के औचित्य को चार सप्ताह में साबित करने को भी कहा.
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