विश्व की पहली मलेरिया वैक्सीन आरटीएस अथवा मोस्क्यूरिक्स को यूरोपीय दवा एजेंसी ने 24 जुलाई 2015 को स्वीकृति प्रदान की.
इस वैक्सीन को अफ्रीका में 6 वर्ष से 17 महीने के बच्चों के लिए लाइसेंस प्रदान किया गया था. विदित हो कि अफ्रीका में मच्छर जनित बीमारियां विश्व के अन्य क्षेत्रों की तुलना में सबसे अधिक पाई जाती हैं.
यह वैक्सीन ब्रिटिश दवा निर्माता ग्लेक्सो स्मिथ क्लाइन (जीएसके) द्वारा पाथ मलेरिया वैक्सीन ईकाई के साथ मिलकर तैयार की गयी है. यह परजीवी जनित बीमारियों को नियंत्रित किये जाने के लिए मनुष्यों पर प्रयोग की जाने वाली पहली दवा होगी जिससे प्रत्येक वर्ष लाखों लोगों की जान बचाई जा सकेगी.
वैक्सीन का विकास कार्य वर्ष 1987 से चल रहा था तथा इसे बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन से भी वित्तीय सहायता प्रदान की गयी. इसका विकास जो कोहेन (जीएसके वैज्ञानिक) के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक दल ने किया.
वैक्सीन को वर्ष 2011 तथा 2012 में असंतोषजनक परिणाम हासिल होने के बावजूद अनुमोदित किया गया. शोध के परिणामों के अनुसार इसने 6-12 सप्ताह के बच्चों में 27 प्रतिशत तथा 5-17 माह के बच्चों में 46 प्रतिशत मलेरिया एपिसोड कम किये.
वर्ष 2013 में मलेरिया के कारण 58,400 लोगों की मृत्यु हुई जिनमें अधिकतर उप-सहारा अफ्रीका से थे जबकि मरने वाले लोगों में 80 प्रतिशत पांच वर्ष से कम आयु के बच्चे थे.
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