विश्व स्वास्थ्य संगठन के 67वें सम्मेलन का पूर्ण अधिवेशन जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में 19 मई 2014 को संपन्न हुआ. वर्ष 2014 के आम विचार-विमर्श का विषय 'जलवायु और स्वास्थ्य के बीच संबंध' रखा गया. इस सत्र में भारत की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव (स्वास्थ्य) सीके मिश्रा ने भाग लिया.
जन सामान्य के लिए जलवायु के बारे में स्पष्ट सार्वजनिक स्वास्थ्य जागरूकता का वैश्विक रूप से अभाव के कारण श्रेष्ठ व्यक्तिगत एवं स्थानीय कार्यनीतियों की पहचान करना सार्वजनिक स्वास्थ्य समुदाय के लिए मुख्य चुनौती बन गया है.
वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन न केवल अंतरराष्ट्रीय अनुबंधों या आर्थिक लागत का मुद्दा रह गया है बल्कि यह एक ऐसा मुद्दा बन गया है जिसमें यह चयन करना मुश्किल हो गया है कि हम किस प्रकार के संसार में रहना चाहते हैं. इस संदर्भ में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र रूपरेखा सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) के अंतर्गत सामान्य लेकिन विभेदक उत्तरदायित्व (सीबीडीआर) के सिद्धांत आगे बढ़ने का आदर्श तरीका है.
67वां सम्मेलन और भारत
इस अधिवेशन में भारत ने विकासशील देशों को सशक्त बनाने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जनेरिक दवाइयों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया. विभिन्न बीमारियों को रोकने के उद्देश्य से भारत ने सस्ती, बढि़या, सुरक्षित दवाइयों, वैक्सीन और उन्नत चिकित्सकीय प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराये जाने की जरूरत पर भी जोर दिया. भारत में 2012 से 2017 के बीच राष्ट्रीय योजनाओं में स्वास्थ्य को प्रमुख स्थान दिया गया.
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