श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने कोलंबो से जाफना को जोड़ने वाली रेल सेवा का 13 अक्टूबर 2014 को उद्घाटन किया. तमिल गृहयुद्ध के समाप्त होने के पांच वर्ष बाद भारत की मदद से इस सेवा को बहाल किया गया. इस रेललाइन का निर्माण भारतीय रेलवे की निर्माण कंपनी इरकान ने भारत द्वारा श्रीलंका को दिए गए 4899 करोड़ रुपए (80 करोड़ डॉलर) के रियायती ऋण से किया. इस रेलमार्ग की लंबाई 400 किमी है. ‘क्वीन ऑफ जाफना’ यह सफर 6 घंटे में तय करेगी.
लाभ
कोलंबो जाफना रेल लाइन के शुरू होने से इस युद्ध ग्रस्त क्षेत्र के आर्थिक विकास को गति मिलेगी. भारत ने इस तमिल बहुल क्षेत्र में हुए विकास के लिए भरपूर सहयोग दिया. भारत यहां पर विस्थापित लोगों के लिए पचास हजार घर बनवा रहा है. जाफना में एक अति त्याधुनिक सांस्कृतिक केन्द्र और एक औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण भी कर रहा है.
क्यों बंद की गई थी यह ट्रेन?
लिबरेशन टाइगर ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के विद्राही इस ट्रेन को निशाना बनाते थे क्योंकि जाफना में रहने वाले सैनिक इसी ट्रेन से अपने घर जाते थे. जनवरी 1985 में विद्रोहियों ने इस ट्रेन पर सबसे बड़ा हमला किया था. इसमें 22 सैनिकों और 11 नागरिकों की मौत हो गई और 44 से अधिक घायल हुए थे. यह श्रीलंकाई सेना पर विद्रोंहियों का सबसे बड़ा हमला था. इसके बाद हालात और बिगड़े तो 5 साल बाद 1990 में क्वीन ऑफ जाफना को बंद कर दिया गया. 25 वर्ष के श्रीलंकाई गृहयुद्ध में दोनों पक्षों के 1 लाख से अधिक लोग मारे गए.
विदित हो कि श्रीलंका में गृहयुद्ध के दौरान वर्ष 1990 में इसे बंद कर दिया गया था. महात्मा गांधी ने वर्ष 1927 में एक बार इस रेललाइन पर यात्रा की थी.
जाफना उत्तरी श्रीलंका में स्थित है. यह तमिल बहुल वाला क्षेत्र है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation