भारत ने ओडिशा तट पर चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) प्रक्षेपण परिसर -3 से स्वदेश में विकसित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल आकाश का सफलतापूर्वक परीक्षण 21 फ़रवरी 2014 को किया.
परीक्षण के दौरान प्रक्षेपण परिसर द्वितीय से दागे गए मिसाइल ने एक उड़ती वस्तु पर निशाना साधा जिसे पायलटरहित लक्ष्य विमान ने समुद्र से एक निश्चित ऊंचाई पर टिका रखा था. आकाश मिसाइल का पिछला परीक्षण उसी बेस से 6 जून 2012 को किया गया था और अगले कुछ दिनों में और ऐसे ही परीक्षण किए जाने की संभावना है.
मिसाइल आकाश से संबधित मुख्य तथ्य
आकाश का विकास भारत में हुआ है और यह सभी मौसम में सतह से हवा में मार करने वाली मध्यम दूरी की (एसएएम) मिसाइल है. यह बहु दिशा और बहु लक्ष्य क्षेत्र रक्षा प्रदान करती है. मिसाइल को एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित किया गया है.
एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत वर्ष 1983 से 2007 के मध्य नाग, अग्नि, त्रिशूल मिसाइल और पृथ्वी बैलिस्टिक मिसाइल सहित मिसाइलों की एक श्रृंखला विकसित की गई.
• इसकी मारक क्षमता 30 किलोमीटर तक है और इस रेंज में एक विमान को निशाना बनाने की क्षमता है.
• यह अपने साथ 50 किलोग्राम परमाणु सामग्री ले जाने में सक्षम है.
इसमें एक साथ कई लक्ष्यों को ट्रैक करने और हमला करने के लिए एक बैटरी भी है. प्रत्येक आकाश बैटरी में चार 3डी निष्क्रिय इलेक्ट्रॉनिक स्कैन्ड एरे (पेसा) रडार है.
• इसमें 12 मिसाइलों के साथ चार स्वचालित लांचर शामिल हैं जो आपस में जुड़े है.
• इसमें बैटरी स्तर रडार, राजेंद्र रडार भी है और एक बैटरी नियंत्रण केंद्र है. इसी के साथ वह रास्ते में आने वाले कई लक्ष्यों का पता लगाकर उन्हें भी भेद सकती है.
• मिसाइल में आत्म विनाशकारी उपकरण भी लगा है.
• इसमें लड़ाकू जेट, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह में मार करने वाली मिसाइलों को निष्प्रभावी बनाने की क्षमता है.
• इस मिसाइल की तुलना रक्षा विशेषज्ञों ने सतह से हवा में मार करने वाली अमेरिकी एमआईएम-104 पैट्रिएट मिसाइल से की है.
मध्य दूरी की सतह से हवा में मिसाइल प्रणाली की विशेषताएं
इस प्रणाली में एक लांचर, एक मिसाइल, एक नियंत्रण केंद्र, एक अभिन्न मिशन मार्गदर्शन प्रणाली, एक बहु कार्यात्मक अग्नि नियंत्रण रडार, एक हथियार और विस्फोट तंत्र प्रणाली, एक डिजिटल ऑटो पायलट, सी4आई (कमांड, कंट्रोल संचार और खुफिया) केन्द्र और जमीनी समर्थित उपकरण की सुविधाएं है.
समूह नियंत्रण केंद्र (जीसीसी) एसएएम (सैम) प्रणाली के कमान और नियंत्रण मुख्यालय के रूप में कार्य करता है.
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