सर्वोच्च न्यायालय ने सहकारी आवास समिति से संबंधित संपत्ति के मालिकों को एक से अधिक संपत्ति रखने पर एक के अलावा अन्य से बेदखल करने का निर्णय दिया. न्यायमूर्ति मुकुंदकम शर्मा और न्यायमूर्ति एआर दावे की खंडपीठ ने 16 नवंबर 2010 को अपने फैसले में बताया कि सहकारी समितियों का उद्देश्य लाभ अर्जित करना नहीं, बल्कि अपने सदस्यों की आर्थिक परिस्थितियों को बेहतर बनाना है.
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि सहकारी आवास समिति द्वारा सरकार से छूट लेकर जमीन हासिल करना और भवन निर्माण करने की इजाजत सिर्फ उन सदस्यों को दी जाए जिन्हें वास्तव में आवास की जरूरत है.
सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली सहकारी समिति नियम 25(1) (C), 1973 के तहत यह निर्णय दिया. इस नियम के तहत कोई भी सदस्य किसी अन्य (एक से अधिक) संपत्ति का मालिक नहीं बन सकता. सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय परमानन्द शर्मा बनाम दिल्ली सहकारी आवास समिति मामले में दिया.
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