केंद्र सरकार ने 3 जुलाई 2015 को सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना 2011 की रिपोर्ट जारी की. यह जनगणना ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 29 जून 2011को शुरू की गई थी. इससे पहले क्षेत्र, समुदाय, जाति, आय वर्ग पर आधारित जनगणना 1932 में की गई थी.
सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना 2011 तीन अलग प्राधिकरणों द्वारा परन्तु भारत सरकार में ग्रामीण विकास विभाग के समग्र समन्वय के तहत आयोजित की गई. इस जनगणना के तीन घटक हैं. ग्रामीण क्षेत्र में जनगणना ग्रामीण विकास विभाग द्वारा, शहरी क्षेत्रों में जनगणना आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय द्वारा और जाति जनगणना गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में भारत के महापंजीयक और भारत के जनगणना आयुक्त द्वारा की गई.
ये आंकड़े आम जनता तक सरकारी नीतियों का लाभ सही ढंग से पहुंचाने की दिशा में लाभकारी होंगे.
सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना 2011 के मुख्य अंग-
• यह आंकडें लोगों द्वार दी गईं सूचनाओं के आधार पर तैयार किए गए हैं. एकत्र आंकड़ों पर ग्राम सभा और ग्राम पंचायतों से भी सहमती प्रदान की गई है.’
• दीवारों और छतों में इस्तेमाल की गई प्रमुख सामग्री की सूचना के आधार पर घरों की संरचना कच्चा घर या पक्का घर में विभाजित किया गया है.
• आय के मुख्य स्रोत को खेती, आकस्मिक श्रम, अंशकालिक या पूर्णकालिक घरेलू सेवा, गैर कृषि उद्यम, भीख माँगना / दान / के रूप में स्पष्ट किया गया है.
सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना 2011 में देश के 640 जिलों से प्राप्त की गई सूचना के आधार पर निम्नलिखित तथ्य प्राप्त किए गए –
• ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में घरों की कुल संख्या 24.39 करोड़ है.
• 4.6% ग्रामीण भारतीय परिवार ही आय कर अदा करते हैं.
• कुल परिवारों का 1.11 प्रतिशत सार्वजनिक क्षेत्र और 3.57 प्रतिशत निजी क्षेत्र के रोजगार से जुड़ा है.
• देश में कूड़ा बिनने वालों की संख्या 4.08 लाख है और भिखारियों की संख्या 6.68 लाख है.
• कुल ग्रामीण जनसंख्या के 56 प्रतिशत लोग भूमिहीन है जिसमे से 70 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 50 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति सम्बंधित हैं.
• 17.91 करोड़ ग्रामीण परिवारों में 39.39 प्रतिशत लोगों की आय 10000 रुपए प्रति माह से भी कम है.
• 30.10 प्रतिशत(या 5.39 करोड़) जीविका के लिए फसल की खेती पर निर्भर हैं.
• 1.14 प्रतिशत(या 9.16 करोड़ रुपये) आकस्मिक श्रम के माध्यम से आय अर्जित करते हैं.
• 54 प्रतिशत के पास 1 या 2 कमरे के आवास हैं.
• 5 प्रतिशत सरकार से वेतन प्राप्त करते हैं.
• 65 लाख परिवार ऐसे हैं जहां किसी वजह से घर में कोई बड़ा सदस्य नहीं है. सारे सदस्य नाबालिग हैं. वहीं 68.96 लाख परिवार ऐसे हैं जिनकी मुखिया महिला है.
ग्रामीण भारत
1. | ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को मिलाकर घरों की संख्या | 24.39 करोड़ |
2. | कुल ग्रामीण परिवार | 17.91 करोड़ |
3. | कुल बहिष्कृत परिवार | 7.05 करोड़ |
4. | स्वतः शामिल परिवार | 16.50 लाख |
5. | अभावग्रस्त घरों की संख्या | 10.69 करोड़ |
6. | आभावरहित घरों की संख्या | 2.00 करोड़ |
7. | सात में से एक आभाव स्थिति वाले घर | 8.69 करोड़ |
आभावग्रस्त जनसंख्या
1. | एक ही कमरे, कच्ची दीवारों और कच्ची छत वाले घरों की संख्या | 2.37 करोड़ |
2. | 18 वर्ष से 59 वर्ष की आयु के बीच कोई वयस्क सदस्य नहीं | 65.15 लाख |
3. | घरों की संख्या जिनमे महिला मुखिया हैं | 68.96 लाख |
4. | घरों की संख्या जिसमे शारीरिक रूप से अक्षम लोग हैं और कोई वयस्क सक्षम नहीं है | 7.16 लाख |
5. | अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के परिवारों की संख्या | 3.86 करोड़ |
6. | 25 वर्ष की आयु के ऊपर कोई साक्षर वयस्क नहीं | 4.21 करोड़ |
7 | शारीरिक श्रम से अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा पाने वाले भूमिहीन परिवारों | 5.37 करोड़ |
घरेलू आय के स्रोत
1. | कुल ग्रामीण परिवारों | 17.91 करोड़ |
2. | कृषि | 5.39 करोड़ |
3. | शारीरक श्रम | 9.16 करोड़ |
4. | अंशकालिक या पूर्ण समय घरेलू सेवा | 44.84 लाख |
5. | कूड़ा बिनना | 4.08 लाख |
6. | गैर कृषि स्वयं का उद्यम | 28.87 लाख |
7. | भीख माँगना | 6.68 लाख |
8. | अन्य(सरकरी नौकरी) | 2.50 करोड़ |
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