कवि डॉ. गोपाल दास ‘नीरज’ एवं साहित्यकार डॉ. उदय प्रताप सिंह का चयन ‘साहित्य शिरोमणि’ सम्मान के लिए किया गया. इसकी घोषणा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राजधानी लखनऊ में 8 अप्रैल 2015 को किया. उनका चयन उनके द्वारा की गई आजीवन साहित्य सेवा के लिए किया गया.
इससे पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने डॉ. गोपाल दास नीरज की पुस्तक ‘गीतश्री’ का विमोचन किया. ‘गीतश्री’ में नीरज के गीतों का संकलन है. इसके साथ ही डॉ. ‘नीरज’ को ‘राष्ट्र रत्न सितार –ए – हिन्द’ की उपाधि से विभूषित करने की भी घोषणा की.
पुरस्कार के तहत डॉ. गोपाल दास ‘नीरज’ एवं साहित्यकार डॉ. उदय प्रताप सिंह को 21-21 लाख रुपए की नगद राशि प्रदान की जाएगी.
डॉ. गोपाल दास ‘नीरज’ से संबंधित मुख्य तथ्य
• गोपालदास नीरज जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली में हुआ था.
• भारत, हिन्दी साहित्य के लिये कॉलेज में अध्यापन से लेकर कवि सम्मेलन के मंचों पर एक अलग ही अन्दाज़ में काव्य वाचन और फ़िल्मों में गीत लेखन के लिये जाने जाते हैं।
• वे पहले व्यक्ति हैं जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार पहले पद्मश्री से, उसके बाद पद्मभूषण से सम्मानित किया.
• फ़िल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये उन्हें लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला.
पुरस्कार एवं सम्मान
• विश्व उर्दू परिषद् पुरस्कार
• यश भारती एवं एक लाख रुपये का पुरस्कार (1994), उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ
• पद्म भूषण सम्मान (2007), भारत सरकार
फिल्म फेयर पुरस्कार
• नीरज जी को फ़िल्म जगत में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये 1970 के दशक में लगातार तीन बार यह पुरस्कार दिया गया.
• वर्ष 1970: काल का पहिया घूमे रे भइया! (फ़िल्म: चन्दा और बिजली)
• वर्ष 1971: बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ (फ़िल्म: पहचान)
• वर्ष 1972: ए भाई! ज़रा देख के चलो (फ़िल्म: मेरा नाम जोकर)
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