सुप्रीम कोर्ट ने 7 जुलाई 2015 को केंद्र सरकार, चुनाव आयोग एवं छह राजनैतिक पार्टियों को नोटिस जारी किया है तथा उनसे जवाब मांगा है.
इसमें शामिल छह राष्ट्रीय दल हैं, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (एम), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा).
यह नोटिस तीन जजों की बेंच मुख्य न्यायधीश एच एल दत्तु, न्यायधीश अरुण कुमार मिश्र तथा न्यायाधीश अमित्वा रॉय द्वारा एक एनजीओ, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान दिया. याचिकाकर्ता ने मई 2015 में दायर याचिका में सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के दायरे में लाने की मांग की गयी थी.
इसके अलावा याचिकाकर्ता ने राजनीतिक दलों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता तथा जवाबदेही की मांग भी की. याचिका में यह भी मांग की गयी कि राजनीतिक दलों से कहा जाए कि वे सभी लेन-देन के बारे में सूचना दें जिसमें 20 हजार रुपए से कम राशि का चंदा भी शामिल हो.
केन्द्रीय सूचना आयोग का 3 जून को आदेश
केंद्रीय सूचना आयोग ने 3 जून को अपने विस्तृत आदेश में कहा था कि राजनीतिक दल सार्वजनिक प्राधिकार हैं और ऐसे में उन्हें सूचना के अधिकार के कानून के तहत सूचना देनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल विधायिका और विधि निर्माण प्रक्रिया पर भी नियंत्रण रखते हैं.
टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मार्च 2015 में सभी स्टेकहोल्डर्स को जारी नोटिस में सीआईसी ने भी राजनैतिक दलों के बारे में जानकारी देने में असमर्थता जाहिर की थी.
मार्च 2015 को जारी एक सर्कुलर के अनुसार केंद्रीय सूचना आयोग ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत मौजूदा प्रावधानों के चलते अपनी असमर्थता जाहिर की थी.
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