देश भर में चल रही व्यक्तिगत स्तर पर चल रही विभिन्न प्रकार की अनधिकृत सामूहिक निवेश योजनाओं को बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) ने फर्जीवाड़ा एवं अनुचित व्यापारिक चलन घोषित करने का फैसला किया. सेबी इस संबंध में 12 अगस्त 2013 को निर्देश जारी किया.
सेबी ने अपने निर्देश में स्पष्ट किया कि नियामक से आवश्यक प्रमाण-पत्र प्राप्त किये बिना सामूहिक निवेश की किसी भी योजना को क्रियान्वित या संचालित नहीं किया जा सकता है.
हाल ही में सेबी को यह अधिकार दिया गया कि गैर-सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा पूंजी जुटाने की उन योजनाओं (पोंजी योजनाएं या चिट फंड) को नियमित कर सकती है जिनमें 100 करोड़ या अधिक राशि का निवेश हो रहा हो.
सेबी के द्वारा अनधिकृत सामूहिक निवेश योजनाओं के संचालन पर कड़ा दंड लगाया जा सकता है.
चिट फंड (Chit Fund)
घरेलू स्तर का निवेश संघ जिनके माध्यम से आम तथा छोटे-छोट निवेशक एक समूह बनाकर निवेश करते हैं जिनमें से कई के तो बैंक खाते तक नहीं होते. हमारे देश में अभी तक इस तरह की स्कीमों के लिए चिट फंड अधिनियम 1982 रहा है. चिट फंड योजनाओं का व्यवस्थापन सगठित वित्तीय संस्थाओं या असंगठित समूहों या किसी व्यक्ति, मित्र आदि द्वारा चलाया जा सकता है. केरल राज्य में चिट फंड स्कीमों को ‘चिट्टी’ नाम से संबोधित किया जाता है. केरल सरकार की एक कंपनी ‘केरल स्टेट फाइनेंसियल एंटरप्राइजेज’ का मुख्य कारोबार ‘चिट्टी’ है.
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