हिमाचल प्रदेश सरकार ने मनरेगा (MGNREGA: Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act) के तहत काम कर रहे ग्रामीणों को रविवार को छुट्टी देने का निर्णय 21 जुलाई 2011 को लिया.
हिमाचल प्रदेश सरकार ने मनरेगा में दिहाड़ीदारों को छुट्टी देने का यह निर्णय श्रम कानूनों के तहत लिया. राज्य सरकार ने मनरेगा में लगातार छह दिन काम करने के बाद अन्य विभागों में काम पर लगे दिहाड़ीदारों की तरह सातवें दिन रविवार को छुट्टी दिए जाने का आदेश दिया.
ज्ञातव्य हो कि हिमाचल प्रदेश में मनरेगा तीन चरणों में शुरू हुई थी. प्रथम चरण में 2 फरवरी 2006 को प्रदेश के चंबा व सिरमौर जिले में इसका शुभारंभ हुआ था. दूसरे चरण में 1 अप्रैल 2007 को मंडी व कांगड़ा जिलों को शामिल किया गया था. तीसरे चरण में सूबे के शेष 8 जिलों को 1 अप्रैल 2008 को मनरेगा में शामिल किया गया था.
8 मार्च 2011 के आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में 1017739 जॉब कार्ड जारी हुए थे. इनमें अनुसूचित जनजाति को 285362 व अनुसूचित जाति को 62420 जबकि अन्य वर्ग के 669957 लोगों को जॉब कार्ड जारी हुए थे.
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