उत्तर प्रदेश का एकमात्र शास्त्रीय नृत्य कौन-सा है, जानें

Jan 30, 2025, 19:34 IST

उत्तर प्रदेश भारत में सबसे अधिक जिले वाला राज्य है। यह राज्य अपनी विविध संस्कृति और अनूठी परंपराओं के लिए भी जाना जाता है। इस कड़ी में क्या आप उत्तर प्रदेश के एकमात्र शास्त्रीय नृत्य के बारे में जानते हैं। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

यूपी का शास्त्रीय नृत्य
यूपी का शास्त्रीय नृत्य

उत्तर प्रदेश भारत में चौथा सबसे बड़ा राज्य है, जो कि 240, 928 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह राज्य अपनी सांस्कृतिक विविधता, अनूठी परंपराओं व समृद्ध इतिहास के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश का एकमात्र शास्त्रीय नृत्य भी शामिल है। कौन-सा यह नृत्य और यूपी में क्या है इसका महत्त्व, जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें।

उत्तर प्रदेश का परिचय 

उत्तर प्रदेश आज जिस जगह पर है, वहां कभी कोसल और पांचाल साम्राज्य हुआ करता था। बाद में यहां शर्की पहुंचे और उन्होंने यहां शासन करते हुए जौनपुर शहर को बसाया। कुछ समय बाद जब मुगलों का शासन हुआ, तो उन्होंने यहां अवध सूबा बसाया और इसकी कमान नवाबों के हाथों में सौंप दी।

कुछ समय बाद यहां ब्रिटिश पहुंचे और उन्होंने यहां उत्तर-पश्चिम प्रांत का गठन किया। बाद में इसे अवध सूबे के साथ मिला दिया गया, जिसके बाद इसका नाम संयुक्त प्रांत दिया गया। वहीं, जब देश आजाद हुआ तो उसके दो साल बाद प्रदेश का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया। 

उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा और सबसे छोटा जिला 

उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिले की बात करें, तो यह लखीमपुर खीरी जिला है। यह जिला कुल 7680 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। साथ ही, यह अपने यहां के प्रसिद्ध मेंढक मंदिर के लिए भी जाना जाता है। यूपी के सबसे छोटे जिले की बात करें, तो यह हापुड़ है। यह जिला कुल 660 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो कि स्टील सिटी के रूप में भी जाना जाता है। 

उत्तर प्रदेश का एकमात्र शास्त्रीय नृत्य कौन-सा है

अब सवाल है कि यूपी का एकमात्र शास्त्रीय नृत्य कौन-सा है, तो आपको बता दें कि यह कथक नृत्य है। 

क्या रहा है कथक का इतिहास 

कथक भारत के आठ प्रमुख शास्त्रीय नृत्य रूपों में से एक है, जिसकी उत्पत्ति उत्तर भारत में हुई। यह नृत्य शैली अपनी भाव-भंगिमाओं, पैरों की जटिल गतियों और घूमने (स्पिन) की अनूठी शैली के लिए प्रसिद्ध है। कथक शब्द संस्कृत के "कथाकार" (कहानी कहने वाले) शब्द से लिया गया है, क्योंकि यह नृत्य शैली प्राचीन काल में मंदिरों में कथा कहने की एक विधा के रूप में विकसित हुई थी।

वैदिक काल से है संबंध

कथक का प्रारंभिक रूप वैदिक काल से जुड़ा हुआ माना जाता है, जब इसे मंदिरों में धार्मिक कथाएं प्रस्तुत करने के लिए विकसित किया गया था। इसका इतिहास उठाकर देखें, तो यह नृत्य रूप भक्ति परंपरा से जुड़ा था और भगवान कृष्ण, राम और शिव की कहानियों को नृत्य और भाव-भंगिमाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता था।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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