नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) और नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission) में क्या अंतर है?

हमारे द्वारा उत्पादित सभी ऊर्जा मूलभूत (Basic) रासायनिक और भौतिक प्रक्रियाओं से आती है. विखंडन और संलयन दो भौतिक प्रक्रियाएं हैं जो परमाणुओं से भारी मात्रा में ऊर्जा का उत्पादन करती हैं. आइये इस लेख के माध्यम से नाभिकीय संलयन और नाभिकीय विखंडन के बीच के अंतर के बारे में अध्ययन करते हैं.

Dec 9, 2020, 13:08 IST
Difference between Nuclear Fusion and Fission
Difference between Nuclear Fusion and Fission

नाभिकीय विखंडन और नाभिकीय संलयन नामक दो प्रकार की परमाणु प्रतिक्रियाएँ (Nuclear Reactions) होती हैं. 

एक भौतिक प्रतिक्रिया (Physical Reaction) जो परमाणु के नाभिक में परिवर्तन का कारण बनती है उसे परमाणु प्रतिक्रिया (Nuclear Reaction) कहा जाता है और इस प्रतिक्रिया के दौरान जारी ऊर्जा को परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) कहा जाता है. नाभिक का द्रव्यमान परमाणु ऊर्जा के स्रोत के रूप में कार्य करता है जो मुख्य रूप से ताप या हीट को निकालता  है. परमाणु प्रतिक्रिया दो प्रकार की होती है, वो हैं:

1. नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission)  और 

2. नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion)

नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission) 

यूरेनियम, प्लूटोनियम या थोरियम जैसे रेडियोधर्मी परमाणुओं के भारी नाभिक को कम ऊर्जा वाले न्यूट्रॉन के साथ बमबारी किया जाता है जो नाभिक को छोटे नाभिक में विभाजित करते हैं. इस प्रक्रिया को परमाणु विखंडन  (Nuclear Fission) कहा जाता है. यानी इस प्रक्रिया में एक परमाणु का नाभिक दो संतति नाभिकों (Daughter Nuclei) में विभाजित होता है. जो विखंडन में खंड या अंश प्राप्त होते हैं उनका एक संयुक्त द्रव्यमान होता है जो कि मूल परमाणु से कम होता है. द्रव्यमान में हुई यह क्षति सामान्यतः परमाणु ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है

उदाहरण के लिए जब यूरेनियम -235 (Uranium-235) परमाणु न्यूट्रॉन के साथ बमबारी करते हैं तो भारी यूरेनियम नाभिक तीन न्यूट्रॉन के उत्सर्जन के साथ बेरियम-139 (Barium-139) और क्रिप्टन -94 (Krypton-94) का उत्पादन करता है. इस प्रतिक्रिया में बहुत अधिक ऊर्जा भी उत्पन्न होती है क्योंकि द्रव्यमान (Mass) वर्तित हो जाता है.

Fission

इसके अलावा, एक नाभिकीय विखंडन प्रतिक्रिया में न्यूट्रॉन का उपयोग और उत्पादन भी किया जाता है. इस प्रतिक्रिया में उत्पन्न न्यूट्रॉन फिर से भारी नाभिक का विखंडन करता है और इस प्रकार चैन रिएक्शन बनती है. यदि यूरेनियम -235 के विखंडन के दौरान उत्पन्न सभी न्यूट्रॉन आगे विखंडन पैदा करते हैं, तो इतनी ऊर्जा का उत्पादन होता है कि यह नियंत्रित नहीं हो पाती और एक एटम बम (Atom Bomb) नामक एक विस्फोट हो जाता है. हालांकि, बोरोन (Boron) की रोड (Rod) का उपयोग करके नाभिकीय विखंडन प्रतिक्रिया को नियंत्रित किया जा सकता है क्योंकि बोरॉन न्यूट्रॉन को अवशोषित कर सकता है. साथ ही आपको बता दें कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों (Nuclear Power Plants) में बिजली उत्पन्न करने के लिए नाभिकीय विखंडन प्रतिक्रियाएं की जाती हैं.

भारत में परमाणु हमले का निर्णय कौन लेता है?

परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Nuclear power plants) बिजली पैदा करने के लिए नाभिकीय विखंडन प्रतिक्रियाओं का उपयोग करते हैं और इस उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाने वाला ईंधन यूरेनियम -235 (Uranium-235) है.

भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Nuclear power plants in India)

भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र इस प्रकार हैं:
i) तारापुर परमाणु ऊर्जा स्टेशन, महाराष्ट्र (Tarapur Atomic Power Station, Maharashtra)
ii) राजस्थान परमाणु ऊर्जा स्टेशन, राजस्थान (Rajasthan Atomic Power Station, Rajasthan)
iii) मद्रास परमाणु ऊर्जा स्टेशन, तमिलनाडु (Madras Atomic Power Station, Tamil Nadu)
iv) काइगा परमाणु ऊर्जा स्टेशन, कर्नाटक (Kaiga Atomic Power Station, Karnataka)
v) कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा स्टेशन, तमिलनाडु (Kudankulam Atomic Power Station, Tamil Nadu)
vi) नरौरा परमाणु ऊर्जा स्टेशन, उत्तर प्रदेश (Narora Atomic Power Station, Uttar Pradesh)
vii) काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन, गुजरात (Kakrapar Atomic Power Station, Gujarat)

न्यूक्लियर बम (Nuclear Bomb)

न्यूक्लियर बम (Nuclear Bomb) यूरेनियम -235 (Uranium-235) और प्लूटोनियम -239 (Plutonium-239) की नाभिकीय विखंडन प्रतिक्रिया पर आधारित है. विखंडन प्रतिक्रिया को जानबूझकर नियंत्रण से बाहर जाने की अनुमति दी जाती है ताकि थोड़ी ही देर में बड़ी मात्रा में ऊर्जा का उत्पादन हो सके.

1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी के जापानी शहरों पर यूरेनियम -235 और प्लूटोनियम -239 के नाभिकीय विखंडन पर आधारित परमाणु बम गिराए गए थे. इससे मानव जीवन की जबरदस्त हानि हुई थी.

नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion)

संलयन का अर्थ जुड़ना या जोड़ना होता है. इसलिए, एक भारी नाभिक बनाने के लिए हल्के इलेक्ट्रॉनों के दो नाभिकों को मिलाकर जो प्रक्रिया होती है वह नाभिकीय संलयन कहलाती है. नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया में भी भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है.

परमाणुओं के नाभिक पॉजिटिवली चार्ज होते हैं और इसलिए वे एक दूसरे को पीछे हटाते हैं या फिर रिपेल (Repel) करते हैं. तो इन दो नाभिकों को संयोजित करने या फ्यूज करने के लिए एक भारी नाभिक बनाने के लिए बहुत अधिक ऊष्मा ऊर्जा और उच्च दबाव की आवश्यकता होती है. 

इससे पता चलता है कि हल्के परमाणुओं को उच्च दबाव और उच्च तापमान पर  अत्यधिक गर्म करके नाभिकीय संलयन किया जाता है. इस प्रक्रिया में कुछ द्रव्यमान (Mass) भी खो जाता है जो काफी तेज़ ऊर्जा प्रदान करता है.

उदाहरण के लिए, जब उच्च दबाव के तहत एक उच्च तापमान पर ड्यूटेरियम के एटम्स (Deuterium atoms) को गर्म किया जाता है तो दो ड्यूटेरियम नाभिक मिलकर हीलियम बनाते हैं जिसमें एक भारी नाभिक होता है, एक न्यूट्रॉन उत्सर्जित होता है और बहुत सारी ऊर्जा भी निकलती है.

Fusion

तो अब आप जान गए होंगे कि एक नाभिकीय संलयन प्रतिक्रिया नाभिकीय विखंडन प्रतिक्रिया के विपरीत होती है. नाभिकीय संलयन प्रतिक्रिया में उत्पन्न ऊर्जा को अभी तक नियंत्रित नहीं किया गया है और यह नाभिकीय विखंडन प्रतिक्रिया से बहुत अधिक होती है.

हाइड्रोजन बम (Hydrogen bomb)

अत्यधिक उच्च तापमान पर होने वाली परमाणु प्रतिक्रियाओं को थर्मोन्यूक्लियर प्रतिक्रिया कहा जाता है. इस प्रतिक्रिया का उपयोग हाइड्रोजन बम बनाने में किया जाता है जो बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बनता है. हाइड्रोजन, ड्यूटेरियम (2H), और ट्रिटियम (3H) के आइसोटोप के साथ-साथ एक तत्व लिथियम -6 का उपयोग हाइड्रोजन बम बनाने में किया जाता है. हाइड्रोजन बम का विस्फोट एटम बम (Atom bomb) का उपयोग करके किया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब एक परमाणु बम का विस्फोट होता है तो उसकी विखंडन प्रतिक्रिया से बहुत अधिक गर्मी पैदा होती है जो कुछ ही माइक्रोसेकंड में ड्यूटेरियम और ट्रिटियम के तापमान को बढ़ाती है. इस प्रकार संलयन प्रतिक्रिया होती है और हाइड्रोजन बम में भारी ऊर्जा का उत्पादन होता है. हाइड्रोजन बम जीवन के विनाश का कारण बनता है.

न्यूक्लियर एनर्जी के लाभ (Advantages of nuclear energy)

थोड़ी ही मात्रा में ईंधन (यूरेनियम -235) से काफी ज्यादा ऊर्जा का उत्पादन होता है.

परमाणु रिएक्टर में बार-बार ईंधन डालने की आवश्यकता नहीं होती है. एक बार ईंधन (यूरेनियम -235) को रिएक्टर में डाल दिया जाए तो यह दो से तीन साल तक काम कर सकता है.

यह कार्बन डाइऑक्साइड या सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसों का उत्पादन नहीं करता है.

न्यूक्लियर एनर्जी से नुकसान (Disadvantages of nuclear energy)

परमाणु रिएक्टरों के अपशिष्ट उत्पाद रेडियोधर्मी होते हैं और हानिकारक विकिरण का उत्सर्जन करते रहते हैं.

परमाणु रिएक्टरों में दुर्घटना का खतरा जो रेडियोधर्मी सामग्री के रिसाव का कारण हो सकता है.

ईंधन यूरेनियम की उपलब्धता सीमित है.

परमाणु ऊर्जा संयंत्र की उच्च स्थापना लागत( High installation cost). 

जानें चीन के न्यूक्लियर फ्यूजन एनर्जी रिएक्टर 'Artificial Sun' के बारे में

 

 

 

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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