जानें प्लास्टिक से बनीं चीजें कितनी हानिकारक हो सकती है
कई शोधकर्ताओं का मानना है कि प्लास्टिक के गिलास में चाय पीना हानिकारक हो सकता हैl आपकी जानकारी के लिए हम बताना चाहते हैं कि भारत में सबसे ज्यादा प्लास्टिक की बनी चीजों का इस्तेंमाल होता है, परन्तु यह कितना नुकसानदायक है, इसके बारे में आपने शायद ही कभी सोचा होगाl इस लेख में हम प्लास्टिक से बनी चीजों को इस्तेमाल करने से शरीर को क्या क्या नुकसान हो सकता है, उसके बारे में बताएँगेl
हमलोग अक्सर प्लास्टिक के डिस्पोजेबल में गरम चीजों को खाते-पीते हैं, लेकिन यह नहीं सोचते हैं कि इस तरह के प्लास्टिक के डिस्पोजेबल में रासायनिक पदार्थ मिला होता है, जो हमारी सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकता हैl क्या आपको पता है प्लास्टिक के डिस्पोजेबल कप के उपरी भाग में मोम की परत होती है, जो गरम चीजों के डालने पर पिघलने लगती है और खाद्य एवं पेय पदार्थों साथ हमारे शरीर में चली जाती है एवं हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती हैl इसके अलावा प्लास्टिक के बैग में रखे हुए चिप्स भी हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह हो सकते हैंl
प्लास्टिक धूप और गर्मी से पिघलने लगती है, जिसके कारण जिन पदार्थों को मिलाकर उसका निर्माण किया जाता है, वह जहरीला पदार्थ भी पिघलने लगता हैl ये जहरीले पदार्थ खाने के साथ हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं और कैंसर, लीवर का खराब होना, किडनी में पथरी आदि जानलेवा बीमारी को जन्म देते हैंl क्योंकि जब प्लास्टिक गरम हो जाता है तो यह बीपीए (बिस्फेनॉल-ए) (BPA (Bisphenol A) नामक रसायनिक पदार्थ मुक्त करता है जो अंतःस्रावी विघटनकारी होता है और हमारे प्रजनन तंत्र, हॉर्मोन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता हैl
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क्या आप जानते हैं कि बिस्फेनॉल-ए (बीपीए) नामक रसायनिक पदार्थ की मदद से प्लास्टिक को कड़ा और सख्त बनाया जाता है और पेथेलेट (Phthalate) नामक रसायनिक पदार्थ की मदद से प्लास्टिक को नरम और लचीला बनाया जाता हैl इसके अलावा प्लास्टिक की बोतलों/कपों का दोबारा उपयोग नहीं करना चाहिए और एक दिन से अधिक समय तक इसमें पानी नहीं पीना चाहिएl आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि प्लास्टिक से बने बच्चों के खिलौने, जिनमें विभिन्न रंगों का प्रयोग कर आकर्षक बनाया जाता है, भी काफी खतरनाक होते हैl इन रंगों के निर्माण में सीसा और आर्सेनिक जैसे रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया जाता है, जो काफी विषैले होते हैंl बच्चे जब इन खिलौनों को अपने मुंह में डालते हैं तो ये रासायनिक पदार्थ उनके शरीर में पहुंच जाते हैं, जिससे कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती हैl वैज्ञानिकों द्वारा यह प्रमाणित किया गया है कि प्लास्टिक से निर्मित वस्तुओं के उपयोग से कैंसर होने की संभावना 90% तक बढ़ जाती हैl
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परन्तु सवाल यह है कि आखिर प्लास्टिक कितना जहरीला हो सकता हैl
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टॉक्सिकॉलजी रिसर्च सेंटर, लखनऊ के एक वैज्ञानिक के अनुसार शुद्ध प्लास्टिक कम जहरीला होता है, क्योंकि उनमें सक्रीय जैव-रासायनिक पदार्थ नहीं होते हैंl यूरोप ने साल 2005 में ही प्लास्टिक से बने समान के उपयोग पर बैन लगा दिया था, जबकि जापान समेत अन्य 9 देशों ने भी बाद में इस पर पाबंदी लगा दी हैl
कुछ नंबर है जिसकी मदद से आप प्लास्टिक को पहचान सकते है और फिर उनका इस्तेमाल कर सकते हैंl
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जब हम प्लास्टिक के सामान का इस्तेमाल करते हैं तो क्या हम उसके पीछे लिखे ISI या फिर BIS के निशान की जांच करते हैंl दरअसल, अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों पर ISI या BIS का निशान का होना जरूरी है। यह निशान भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा जारी किया जाता है और इससे पता लगता है कि प्रॉडक्ट की क्वॉलिटी अच्छी है या नहींl इस निशान त्रिभुज के समान होता है, जिसे रेजिन आइडेंटिफिकेशन कोड सिस्टम (RIC) कहते हैं। इसी त्रिभुज के मध्य में कुछ संख्या लिखे होते हैं, जो बताते हैं कि यह उत्पाद उपयोग करने योग्य है या नहींl आइए उन संख्याओं के बारे जानने की कोशिश करते हैं जो बताते है कि प्लास्टिक के किस उत्पाद का इस्तेमाल करना चाहिएl
नंबर 1 का मतलब “पॉलिथिलीन-टेरेफथलेट”(PET) से बना उत्पाद है, जिसे अमेरिका की “फूड एंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन” (FDA) ने इस्तेमाल योग्य बताया हैl इस तरह के उत्पादों में सॉफ्ट ड्रिंक, पानी, केचप, अचार, मूंगफली, बटर आदि पैक किए जाते हैंl
नंबर 2 का मतलब “हाई-डेंसिटी पॉलिथिलीन”(HDPE) से बना उत्पाद है, इस तरह के उत्पाद में खाने-पीने की चीजों के मिक्स होने से कैंसर या हॉर्मोंस को नुकसान होने की संभावना कम होती हैl इस तरह के उत्पाद में दूध, पानी, जूस, दही आदि पैक किए जाते हैंl
नंबर 3 का मतलब “पॉलीविनाइलीडीन क्लोराइड”(PVDC) से बना उत्पाद है, इस तरह के उत्पाद में खाना, मसाले, सौस आदि की पैकिंग की जाती हैl
नंबर 4 का मतलब “लो-डेंसिटी-पॉलिथिलीन”(LDPE) से बना उत्पाद है, यह एक गैर-विषैला पदार्थ है, जो सेहत को नुकसान नहीं पहुंचाता हैl इस तरह के उत्पाद से आउटडोर फर्नीचर, फ्लोर टाइल्स, शॉवर कर्टेन आदि बनते हैंl
नंबर 5 का मतलब “पॉलीप्रोपायलीन”(PP) से बना उत्पाद है, यह रसायन रोधी होता है, इसीलिए अम्ल इसके साथ प्रतिक्रिया नहीं करते हैंl इसका उपयोग क्लीनिंग एजेंट्स, फर्स्ट एड प्रॉडक्ट्स आदि के निर्माण में किया जाता हैl
नंबर 6 का मतलब “पॉलिस्टरीन”(PS) से बना उत्पाद है, इसे री-साइकल नहीं किया जा सकता है और ऐसे उत्पादों पर गर्म पानी पड़ने पर कुछ गैसें निकलती हैंl इन उत्पादों का इस्तेमाल फोम पैकेजिंग, फूड कंटेनर्स, डिस्पोजेबल कप-प्लेट, कटलरी, सीडी, कैसेट बॉक्स आदि के निर्माण में किया जाता हैl
नंबर 7 का मतलब "अन्य पदार्थों" (O) से बने उत्पाद हैं, ऐसे उत्पाद हार्मोन्स को नुकसान पंहुचा सकते हैंl इस उत्पादों में बायस्फेनॉल (BPA) होता है, जो कई तरह के प्लास्टिक का मिश्रण होता हैl इन उत्पादों का इस्तेमाल धूप चश्मा, केचप कंटेनर्स आदि बनाने में किया जाता हैl
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इससे यह पता चलता है कि हमें प्लास्टिक से बनी ऐसी वस्तुएं खरीदनी चाहिए जिन पर ISI और RIC का निशान हो, साथ ही BFA रहित या BFR सम्मिलित या सीसा रहित भी लिखा होl
अंत में यह भी ध्यान देना जरूरी है कि बोतलबंद पानी में पानी की गुणवत्ता के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने IS 14543 (बोतलबंद पानी) या IS 13428 (मिनरल वॉटर) और बोतल की गुणवत्ता के लिए IS 15410 मानक जारी किए हैंl ये मानक पानी की गुणवत्ता और पैकेजिंग के सही होने की गारंटी देते हैंl भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के नियमों के अनुसार पैकिंग के ऊपर कंटेनर के मटीरियल (PET/PP/PS आदि), कंटेनर का टाइप (बोतल, कप आदि), कंटेनर की क्षमता आदि की जानकारी होना जरूरी हैl पानी की बोतलों और कपों को एक बार इस्तेमाल करके तोड़ देना चाहिए, लेकिन जार को फिर से उपयोग में लाया जा सकता हैl इसके अलावा कांच के बोतल को भी कीटाणुरहित (स्टरलाइज) करने के बाद फिर से उपयोग में लाया जा सकता हैl
प्लास्टिक की बोतल को तेज़ धूप में या कार में न छोड़ें और थैलियों में भी गरम चाय का सेवन न करेंl खाने को माइक्रोवेव में प्लास्टिक के बर्तन में रखकर गरम न करें और बच्चों को भी प्लास्टिक के खिलौनों से खेलने से रोकेंl क्योंकि इस तरह की छोटी-छोटी सावधानियां बरतने से हम बीमार होने से बच सकते हैंl
विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र (CSE) द्वारा की गई एक अध्ययन में पता चला है कि बच्चों को दांत निकलते वक्त जो खिलौने दिए जाते हैं उनमें बेहद खतरनाक रसायन पाए जाते हैं। इसीलिए हमें प्लास्टिक से बनीं चीजों को इस्तेमाल करते वक्त थोडा सावधान रहना चाहिए l