Quit India Movement Day 2024: भारत छोड़ो आंदोलन को अगस्त क्रांति या अगस्त आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। 8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया और 'करो या मरो' का नारा दिया।
दरअसल, अप्रैल 1942 में क्रिप्स मिशन विफल हो गया था। इस बीच चार महीने से भी कम समय के भीतर स्वतंत्रता के लिए भारतीय जनता का तीसरा जन संघर्ष शुरू हो गया था। इस संघर्ष को भारत छोड़ो आंदोलन के नाम से जाना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बम्बई अधिवेशन में महात्मा गांधी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया।
इस प्रस्ताव में घोषणा की गई कि भारत में ब्रिटिश शासन का तत्काल अंत भारत के हित में तथा स्वतंत्रता और लोकतंत्र के उद्देश्य की सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक है, जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र के देश फासीवादी जर्मनी, इटली और जापान के विरुद्ध लड़ रहे थे।
प्रस्ताव में भारत से ब्रिटिश सत्ता वापस लेने का आह्वान किया गया। इसमें कहा गया था कि एक बार स्वतंत्र होने पर भारत अपने सभी संसाधनों के साथ उन देशों के पक्ष में युद्ध में शामिल होगा, जो फासीवादी और साम्राज्यवादी आक्रमण के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।
भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े 11 महत्त्वपूर्ण तथ्य
-भारत छोड़ों का नारा मुंबई के पूर्व मेयर व ट्रेड यूनियनवादी युसूफ मेहरअली द्वारा गढ़ा गया था।
-यही वह आंदोलन था, जिसमें महात्मा गांधी द्वारा करो या मरो का मंत्र दिया गया था। इस बात ने भारतीय जनता में ब्रिटिश के खिलाफ अधिक साहस भरा था।
-इस आंदोलन में ही मेहरअली द्वारा साइमन गो बैक का नारा गढ़ा गया था।
-ओल्ड ग्रैंड लेडी के रूप में विख्यात अरूणा आसफ अली को ग्वालिया टैंक मैदान में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए जाना जाता है।
-9 अगस्त, 1942 की सुबह-सुबह क्रांग्रेस के अधिकांश नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था।
-उस समय सड़कों पर जुलूस निकाले गए और पूरे देश में गोलीबारी, लाठीचार्ज और गिरफ्तारियां हुईं।
-देशभर में ब्रिटिशों के खिलाफ इतना आक्रोश फूट पड़ा था कि लोगों ने रेलवे लाइन तक को उखाड़ फेंका था। साथ ही सरकारी संपत्तियों पर हमला करने के साथ टेलीग्राफ को भी बाधित कर दिया गया था।
-साल 1942 के अंत तक करीब 60 हजार लोगों को जेलों में बंद कर दिया गया था। उस समय जेलों की क्षमता से अधिक लोगों को जेलों में रखा गया था। साथ ही कई बच्चे व बुजुर्ग तक मारे गए थे।
-देश के कुछ भागों जैसे उत्तर प्रदेश में बलिया, बंगाल में तामलुक, महाराष्ट्र में सतारा, कर्नाटक में धारवाड़, तथा उड़ीसा में बालासोर और तालचेर ब्रिटिश शासन से मुक्त हो गए थे। यहां के लोगों ने अपनी सरकारें बना ली थीं।
-जय प्रकाश नारायण, अरुणा आसफ अली, एस.एम. जोशी और राम मनोहर लोहिया ये ऐसे नाम हैं, जिन्होंने अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों को जारी रखा था।
-युद्ध के वर्ष बंगाल में भयंकर अकाल पड़ा, जिसमें लगभग 30 लाख लोग मारे गए। ब्रिटिश सरकार ने भूख से मर रहे लोगों को राहत पहुंचाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी।
-ब्रिटिश गर्वनर जनरल लॉर्ड लिनलिथगो ने इसे 1857 की क्रांति के बराबर वाली स्थिति का दर्जा दिया था।
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