कौन थे भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश, जानें

भारत में लोकतंत्र के चार स्तंभ हैं, जिसमें से एक स्तंभ न्यायापालिका के रूप में जाना जाता है। न्यायपालिका को चीन चरणों में बांटते हुए अलग-अल स्तर पर न्यायलयों की स्थापना की गई, जिसमें जिला कोर्ट, हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट शामिल है। सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च न्यायालय है, जहां सबसे आखिर में मामले को लेकर चुनौती दी जाती है। इस न्यायालय की अध्यक्षता एख मुख्य न्यायाधीश करते हैं, जिन्हें भारत का मुख्य न्यायाधीश कहा जाता है। वर्तमान में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ हैं। हालांकि, क्या आपको पता है कि भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश कौन थे, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे। 

Jun 20, 2023, 13:57 IST
भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश
भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश

भारत में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मौजूद है। इस लोकतंत्र का हिस्सा है हमारा भारतीय संविधान, जिसका अनुच्छेद 124(1) सुप्रीम कोर्ट से संबंधित है। यह अनुच्छेद कहता है कि भारत का एक सर्वोच्च न्यायालय होगा, जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश(CJI) होगा।

वहीं, इसके अलावा सात से अतिरिक्त न्यायाधीश नहीं होंगे, जब तक कानून द्वारा संसद अन्य न्यायाधीशों की बड़ी संख्या निर्धारित नहीं करती है। हालांकि, वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश को मिलाकर कुल 33 न्यायाधीश होते हैं, जिनका कार्यकाल 65 वर्ष की आयु तक होता है।

यदि इस समय भारत के मुख्य न्यायाधीश की बात करें, तो वह डी.वाई चंद्रचूड़ हैं। हालांकि, क्या आपको भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश के बारे में पता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

 

यह थे भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश(CJI) 

भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश H. J. Kania थे, जिन्होंने 26 जनवरी, 1950 से 6 नवंबर 1951 तक अपना कार्यकाल पूरा किया था। वह कुल 649 दिनों तक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे थे। 

 

कौन थे H. J. Kania

एच. जे कनिया का पूरा नाम सर हरिलाल जेकिसुनदास कनिया था। उनका जन्म 3 नवंबर 1890 को सूरत के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था।

उनके दादा ब्रिटिश सरकार में राजस्व अधिकारी के पद पर कार्यरत थे, जबकि पिता जेकिसुनदास भावनगर रियासत के श्यामलदास कॉलेज में संस्कृत के टीचर थे, जो कि बाद में प्रिंसिपल भी बने थे। 

 

कहां से की थी कानून की पढ़ाई

कनिया ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद साल 1910 में श्यामलदास कॉलेज से आर्ट्स में स्नातक किया।

इसके बाद साल 1912 में उस समय के बंबई शहर से शासकीय महाविद्यालय से लॉ में कानून की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद 1913 में यहां से ही पीजी भी किया। 

 

डॉ राजेंद्र प्रसाद ने दिलाई थी शपथ

कनिया ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद बंबई उच्च न्यायालय में वकालत शुरू कर दी। इसके बाद यहां वकालत करते-करते वह न्यायाधीश के पद तक पहुंचे।

1947 में देश को आजादी मिलने के बाद 26 जनवरी को भारत जब गणतंत्र राज्य बना, तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट के पहले मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।

इस दौरान भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के सामने उन्होंने न्यायाधीश के तौर पर शपथ पढ़ी थी। 

 

पद पर रहते हुए हो गई थी मौत

भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश एच जे कनिया की अपने पद पर रहते हुए मौत हो गई थी। कनिया जब 61 वर्ष के थे, तब 6 नवंबर 1951 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी मौत हो गई थी। 

 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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