भारत में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति निर्वाचन आयोग (Election Commission of India - ECI) के तहत होती है। निर्वाचन आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत स्थापित किया गया है।
हाल ही में भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में ज्ञानेश कुमार को नियुक्त किया गया है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत के पहले चुनाव आयुक्त कौन हैं, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
भारत के चुनाव आयुक्तों की संरचना
मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner - CEC)
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) आयोग का प्रमुख होता है, जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। इनेक कार्यकाल की बात करें, तो यह 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो पहले हो) तक होता है। वहीं, इनके निष्कासन की बात करें, तो इन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज की तरह ही हटाया जा सकता है।
अन्य चुनाव आयुक्त (Election Commissioners - ECs)
वर्ष 1989 में संविधान (संशोधन) अधिनियम के तहत आयोग को बहु-सदस्यीय बनाया गया था। इससे पहले सिर्फ एक ही चुनाव आयुक्त का पद हुआ करता था।
वर्तमान में आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो अन्य चुनाव आयुक्त होते हैं। ये तीनों मिलकर निर्वाचन आयोग का निर्णय लेते हैं।
कौन थे भारत के पहले चुनाव आयुक्त
भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner - CEC) सुकुमार सेन थे। उन्होंने 21 मार्च 1950 से 19 दिसंबर 1958 तक इस पद पर कार्य किया और 1951-52 में स्वतंत्र भारत का पहला आम चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराया।
इंग्लैंड से पूरी की पढ़ाई
सुकुमार सेन का जन्म 1898 में ब्रिटिश भारत के बंगाल में हुआ था। उन्होंने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से पढ़ने के बाद इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की। साल 1921 में उनका चयन भारतीय सिविल सेवा अधिकारी के रूप में हुआ। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के रूप में भी कार्य किया
विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक चुनाव
विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक चुनाव कराने का श्रेय सुकुमार सेन को दिया जाता है। उस दौरान 17.3 करोड़ मतदाताओं ने चुनाव में हिस्सा लिया था। इस चुनाव में लोकसभा और विधानसभा को मिलाकर 4500 से अधिक सीटों के लिए चुनाव प्रक्रिया हुई थी। सुकुमार सेन को भारतीय चुनाव प्रणाली की मजबूत नींव रखने का श्रेय दिया जाता है। सुकुमार सेन द्वारा ही चुनाव में पार्टी चिह्न का इस्तेमाल शुरू किया गया था, जिससे अनपढ़ मतदाताओं को पार्टी को पहचानने में मदद मिले। साल 1963 में उनका निधन हो गया था।
Comments
All Comments (0)
Join the conversation