जब हम घर, ऑफिस या किस अन्य जगह पर बैठे होते हैं और जब हमारी पृथ्वी अचानक हिलने लगती है तो घर या ऑफिस का सामान गिरने लगता है. इस प्रकार की घटनाओं को भूकंप कहा जाता है. यदि ये भूकंप बड़ी तीव्रता वाला होता है तो बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स भी गिर जातीं हैं. भारत तकरीबन 47 मिलीमीटर प्रति वर्ष की गति से एशिया से टकरा रहा है. भारत का करीब 54 प्रतिशत हिस्सा भूकंप की आशंका वाला है. रिक्टर स्केल के अनुसार 2.0 की तीव्रता से कम वाले भूकंपीय झटकों की संख्या रोजाना लगभग आठ हजार होती है, जो इंसान को महसूस ही नहीं होते.
भूकंप कैसे आता है ?
हमारी पृथ्वी मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, भीतरी परत, बाहरी परत, मैंटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहा जाता हैं. लिथोस्फेयर 50 किलोमीटर की मोटी परत है जो विभिन्न वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं. इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है. लेकिन जब वो प्लेटे एक दूसरे से टकराती है तो कम्पन पैदा होते है, लेकिन जब ये कम्पन ज्या दा बढ जाते है तो भूकंप आ जाता है.
Image source:विज्ञान विश्व
भूकंप जोन को जानने के लिए किस प्रक्रिया का सहारा लिया जाता है?
भूकंप जोन को जानने के लिए माइक्रोजोनेशन की प्रक्रिया का सहारा लिया जाता है. माइक्रोजोनेशन वह प्रक्रिया है जिसमें भवनों के पास की मिट्टी को लेकर परीक्षण किया जाता है और इसका पता लगाया जाता है कि वहां भूकंप का कितना खतरा है.
भारत में भूकंप जोन कितने हैं ?
भारत के भूकंपीय क्षेत्रीकरण मानचित्र के नवीनतम संस्करण में क्षेत्रवार खंडों में भूकंप के चार स्तर बताए गए हैं. भारतीय मानक ब्यूरो ने विभिन्न एजेंसियों से प्राप्त विभिन्न वैज्ञानिक जानकारियों के आधार पर पूरे भारत को चार भूकंपीय क्षेत्रों या जोनों में बांटा है जिनमे नाम हैं: जोन 2,जोन 3,जोन 4 और जोन 5.
(भारत में कौन सा क्षेत्र किस जोन में आता है इसको नीचे दिए गए चित्र में देखें)
Image source:PagalParrot
भारत का एकमात्र किला जहां सूर्यास्त के बाद रूकना कानूनी अपराध है
आइये अब इन सभी जोनों की एक एक से व्याख्या करते हैं
जोन 5 (बहुत अधिक तीव्रता वाला जोन) :
यह जोन सबसे ज्यादा भूकंप संभावित क्षेत्र माना जाता है अर्थात इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा भूकंप आने की संभावना रहती है. इस क्षेत्र में 9 या उससे ज्यादा रिक्टर स्केल के भूकंप आते हैं. आईएस जोन कोड, जोन 5 के लिए 0.36 जोन फैक्टर निर्धारित करता है. इस क्षेत्र को बहुत ही भारी तबाही वाला क्षेत्र माना जाता है. रिक्टर स्केल 9 से लेकर 9.9 तक के पैमाने का भूकंप हजारों किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही मचा सकता है, जो 20 साल में लगभग एक बार आता है.
जोन-5 में निम्न क्षेत्र शामिल किये जाते हैं
मोटे तौर पर इस में अंडमान निकोबार द्वीप समूह, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, पूरा पूर्वोत्तर भारत, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड गुजरात में कच्छ का रन और उत्तर बिहार का कुछ हिस्सा शामिल है. आमतौर पर उन इलाकों में भूकंप का खतरा ज्यादा होता है जहां ट्रैप या बेसाल्ट की चट्टानें होती हैं.
जोन-4 (अधिक तीव्रता वाला जोन):
इस जोन में आने वाले भूकंप की तीव्रता 8 रिक्टर स्केल से 9 की बीच होती है. आईएस कोड, जोन 4 के लिए 0.24 जोन फैक्टर निर्धारित करता है. इस तीव्रता के भूकंप में बड़े बड़े पुलों से लेकर बड़ी इमारतें भी गिर जातीं हैं. यह जोन भी भारी तबाही वाले क्षेत्र में आता है.
Image source:google
इस जोन में आने वाले क्षेत्र हैं: दिल्ली और और उससे सटे हुए इलाके जैसे गुरुग्राम,नोएडा, फरीदाबाद और रेवाड़ी आदि आते हैं. दिल्ली में यह मुख्य रूप से यमुना तट के करीबी इलाके, पूर्वी दिल्ली, शाहदरा, मयूर विहार और लक्ष्मी नगर इस जोन में शामिल किया जाता है. देश के अन्य भागों में इसमें जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के बाकी हिस्से, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग, सिंधु-गंगा थाला, बिहार और पश्चिम बंगाल, गुजरात के कुछ हिस्से और पश्चिमी तट के समीप महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और राजस्थान शामिल है.
जोन-3 (सामान्य तीव्रता वाला जोन): इस जोन में आने वाले भूकंप की तीव्रता 7 रिक्टर स्केल से 8 के बीच होती है. इस जोन में आने वाले भूकम्पों में इमारतें गिर जातीं हैं और जमीन के अन्दर के पाइप फट जाते हैं. आईएस जोन कोड, जोन 3 के लिए 0.16 जोन फैक्टर निर्धारित करता है. यह सामान्य तबाही वाला जोन माना जाता है. इस तरह के भूकंप पूरे वर्ष में लगभग 18 से 20 बार आते हैं.
Image source:wordpress.com
इस जोन में आने वाले क्षेत्र हैं: गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, लक्षद्वीप द्वीपसमूह, गुजरात, राजस्थान, पंजाब के कुछ हिस्से, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से, छत्तीसगढ़,ओड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.
कैसे मानसून-पूर्व वर्षा भारत के किसानो तथा बाजारों के लिए वरदान है
जोन-2 (कम तीव्रता वाला जोन): रिक्टर स्केल पर 5.0 से 5.9 तक की तीव्रता का भूकंप एक छोटे क्षेत्र में स्थित कमजोर मकानों को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाता है, खिड़कियों के शीशे टूट जाते हैं, फर्नीचर हिलने लगता है और दीवारों पर टंगे फ्रेम हिलकर नीचे गिर जाते हैं. इस तरह के भूकंप साल में लगभग 800 बार महसूस होते हैं. यह भूकंप की दृष्टि से सबसे कम सक्रिय क्षेत्र होता है. आईएस कोड, जोन 2 के लिए 0.10 जोन फैक्टर निर्धारित करता है. यानी जोन-2 में किसी ढांचे पर असर डाल सकने वाली अत्यधिक क्षैतिज तीव्रता गुरुत्वाकर्षणीय तीव्रता का 10 प्रतिशत होती है. जोन-2 में देश का बाकी बचा हिस्सा शामिल किया जाता हैं.
भूकंप से बचने के उपाय:
1. जैसे ही आपको भूकंप के झटके महसूस हों, वैसे ही आप घर या ऑफिस या किसी अन्य बिल्डिंग में हों तो उस भवन से तुरंत बाहर किसी खुले मैदान में निकल जाएँ और यदि बाहर निकलने का मौका न मिल पाए तो किसी मजबूत टेबल के नीचे बैठ जायें और उसे पकड़ कर रखें.
Image source:AajTak
2. यदि आप भूकंप के समय कार चला रहे हैं तो कार धीमी करें और एक खाली स्थान (जहाँ पर पेड़ और बिल्डिंग्स ना हों) पर ले जाकर कार को पार्क कर दें. तब तक कार में बैठे रहें, जब तक झटके खत्मि नहीं हो जाते.
3. यदि आप किसी भवन में फंस जाएँ तो कोशिश करें कि उस भवन की दीवारों से चिपककर खड़े हो जाएँ लेकिन यह सुनिश्चित कर लें कि आपके ऊपर घर की कोई भारी चीज न गिर जाये.
4. आप मकान बनवाने से पहले यह पता करना ना भूलें कि ‘आपका क्षेत्र’ किस भूकंप जोन में आता है. इसका पता लगाने के बाद ही मकान में लगने वाली निर्माण सामग्री (सरिया,सीमेंट, गिट्टी आदि) का चयन करें.
दुनिया की अनोखी नदियां जिनसे सोना प्राप्त होता है
Comments
All Comments (0)
Join the conversation