क्या आप जानते हैं कि पीने के पानी के लिए पहली प्लास्टिक की बोतल 1970 के दशक में आई थी? तब से बोतलें रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गई हैं। लेकिन, क्या आपने कभी बोतलों के ढक्कनों के अलग-अलग रंगों पर ध्यान दिया है? ये रंग सिर्फ सजावट के लिए नहीं होते, बल्कि इनका एक मतलब होता है।
पानी की बोतलों के ढक्कन नीले, हरे, सफेद और काले जैसे कई रंगों में आते हैं। हर रंग आपको अंदर के पानी के बारे में बता सकता है।
उदाहरण के लिए, नीले ढक्कन का मतलब अक्सर साधारण पीने का पानी होता है। हरे रंग का मतलब हो सकता है कि इसमें मिनरल मिलाए गए हैं। सफेद रंग का इस्तेमाल आमतौर पर शुद्ध या डिस्टिल्ड पानी के लिए किया जाता है। काले ढक्कन का इस्तेमाल कभी-कभी एल्कलाइन पानी के लिए होता है।
ये कलर कोड ग्राहकों को यह जल्दी पहचानने में मदद करते हैं कि वे किस तरह का पानी खरीद रहे हैं। यह ब्रांडों के लिए अपनी पहचान बनाने और लोगों के लिए सोच-समझकर फैसला लेने का एक आसान तरीका है।
पानी की बोतलों के ढक्कनों के अलग-अलग रंगों का क्या कारण है?
पानी की बोतलों के ढक्कनों के अलग-अलग रंग सिर्फ सजावट के लिए नहीं होते। वे बोतल के अंदर मौजूद पानी के प्रकार को बताने के लिए एक आसान विजुअल कोड के रूप में काम करते हैं। हालांकि, इसका असली मतलब ब्रांड और इलाके के हिसाब से अलग हो सकता है, लेकिन कुछ आम बातें जुड़ी हुई हैं:
नीले ढक्कन: अक्सर प्राकृतिक झरने या मिनरल वॉटर का संकेत देते हैं। यह पानी जमीन के नीचे के झरनों से लिया जाता है और इसमें कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे मिनरल होते हैं।
-सफेद/पारदर्शी ढक्कन: आमतौर पर प्रोसेस्ड, शुद्ध या डिस्टिल्ड पानी का संकेत देते हैं। यह पानी अक्सर नल के पानी या दूसरे स्रोतों से लिया जाता है। फिर इसे फिल्टर करके अशुद्धियों को दूर किया जाता है, जिससे इसका स्वाद न्यूट्रल हो जाता है और इसमें मिनरल की मात्रा कम होती है।
-हरे ढक्कन: इसका मतलब हो सकता है कि पानी फ्लेवर वाला है या इसमें नींबू या पुदीना जैसे प्राकृतिक स्वाद मिलाए गए हैं।
-लाल ढक्कन: यह स्पार्कलिंग या कार्बोनेटेड पानी का संकेत दे सकता है। कुछ मामलों में इसका मतलब ऐसे पानी से भी हो सकता है, जिसमें शरीर को फिर से हाइड्रेट करने के लिए इलेक्ट्रोलाइट्स मिलाए गए हों।
-काले ढक्कन: कभी-कभी प्रीमियम या एल्कलाइन पानी के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, जिसका पीएच लेवल ज्यादा होता है।
-पीले ढक्कन: यह विटामिन युक्त पानी का संकेत दे सकता है, जिसमें पोषक तत्व मिलाए गए हों।
यह कलर-कोडिंग सिस्टम ग्राहकों को लेबल पर लिखी बारीक जानकारी पढ़े बिना अपनी पसंद के पानी को जल्दी पहचानने और चुनने में मदद करता है।
कलर-कोडेड ढक्कनों का अनसुना इतिहास
कलर-कोडेड ढक्कनों का इस्तेमाल सिर्फ आज का मार्केटिंग ट्रेंड नहीं है। इसकी जड़ें उन उद्योगों से जुड़ी हैं, जहां तुरंत पहचान करना बहुत जरूरी होता है। यह विचार शायद दवा और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में अपनाए जाने वाले तरीकों से विकसित हुआ है।
उदाहरण के लिए, अस्पतालों में सीरिंज या शीशियों पर लगे अलग-अलग रंग के ढक्कन मेडिकल पेशेवरों को गलतियों से बचने के लिए दवाओं के बीच जल्दी से अंतर करने में मदद करते हैं। इसी तरह, औद्योगिक क्षेत्रों में तारों से लेकर गैस सिलेंडर तक हर चीज पर कलर-कोडिंग का इस्तेमाल उनके काम या अंदर की सामग्री को दर्शाने के लिए किया जाता है।
इसी सिस्टम को बोतलबंद पानी उद्योग ने ग्राहकों के लिए एक सरल और सार्वभौमिक भाषा बनाने के लिए अपनाया।
लेबल पढ़ने और तुलना करने के बजाय ढक्कन पर एक नजर डालने से ही आपको वह सब पता चल जाता है, जो जानना जरूरी है। यह इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे अलग-अलग क्षेत्रों के सिद्धांतों को एक नए बाजार में ग्राहकों के अनुभव और काम को बेहतर बनाने के लिए अपनाया जा सकता है।
पढ़ेंःभारत का कौन-सा जिला कहलाता है ‘लहसुन का शहर’, जानें क्या है नाम
Comments
All Comments (0)
Join the conversation