राजस्थान में आसमान से गिरी उल्कापिंड जैसी वस्तु: क्षुद्रग्रह, उल्का, और उल्कापिंड के बीच अंतर के बारे में जानें

हाल ही में राजस्थान के सांचौर कस्बे में एक उल्कापिंड जैसी वस्तु आकाश से गिरी है और इसके गिरने से एक प्रकार का विशाल विस्फोट हुआ जिसकी आवाज़ लगभग दो किलोमीटर के दायरे में सुनायी दी थी. क्या आप जानते हैं कि उल्कापिंड क्या होते हैं? उल्का, क्षुद्रग्रह, और उल्कापिंड में क्या अंतर होता है? आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

Jun 26, 2020, 18:20 IST
Meteorite-like object falls from sky in Rajasthan
Meteorite-like object falls from sky in Rajasthan

राजस्थान के सांचौर कस्बे में आकाश से 2.78 किलोग्राम का एक उल्कापिंड जैसी वस्तु के गिरने से लगभग दो किलोमीटर के दायरे में एक विशाल विस्फोट हुआ और ध्वनि गूंज उठी. विस्फोटक ध्वनि की सूचना देने के लिए कस्बे के लोग थाने और स्थानीय प्रशासन के पास पहुंचे. उस समय सब डिविजनल मजिस्ट्रेट भूपेंद्र यादव मौके पर पहुंचे और आसमान से गिरे एक टुकड़े को देखकर दंग रह गए और उस समय वह बहुत गरम था. फिर, ऑब्जेक्ट को ठंडा करने और जार में पैक करके पुलिस स्टेशन ले जाने की अनुमति दी गई.

अधिकारियों के अनुसार, सांचौर कस्बे में ज्वेलर की दुकान पर स्थित एक निजी लैब में वस्तु का परीक्षण किया गया था, जिसने पुष्टि की थी कि इसमें जर्मेनियम, प्लैटिनम, निकेल और आयरन के कुछ धातु गुण हैं. इसमें लगभग 10.23 प्रतिशत निकल, 85.86 प्रतिशत लोहा, प्लैटिनम 0.5 प्रतिशत, cobbit 0.78 प्रतिशत, geranium 0.02 प्रतिशत, antimony 0.01 प्रतिशत, niobium 0.01 और अन्य 3.02 प्रतिशत है. इससे पता चलता है कि इसमें आयरन यानी लोहे की मात्र ज्यादा है. आगे और पता लगाने के लिए, भौगोलिक सर्वेक्षण में भारत के अहमदाबाद और जयपुर कार्यालय के भूवैज्ञानिकों की टीम से संपर्क किया गया है.

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आइये अब क्षुद्रग्रह, उल्का, और उल्कापिंड के बीच के अंतर को समझते हैं.

क्षुद्रग्रह क्या है? (What is an Asteroid?)

क्षुद्रग्रह छोटे चट्टानी पदार्थ होते हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं. यह धूल और बर्फ से बने होते हैं यहीं आपको बता दें कि क्षुद्रग्रह द्वारा सूर्य की परिक्रमा ग्रहों के समान ही की जाती है लेकिन इनका आकार ग्रहों की तुलना में बहुत छोटा होता है यानी लगभग 1000 किलोमीटर से लेकर सूक्ष्म धूल कणों तक होता है. सौरमंडल में काफी क्षुद्रग्रह मौजूद हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर क्षुद्रग्रह मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्ट यानी Main Asteroid Belt में पाए जाते हैं. यह बेल्ट मंगल और बृहस्पति ग्रहों की कक्षाओं के बीच के क्षेत्र में स्थित है. बेल्ट के भीतर टकराव के कारण ऑब्जेक्ट पृथ्वी की ओर आजाते हैं.

Meteoroid, Meteor और Meteorite क्या हैं? (What are Meteoroid, Meteor and Meteorite?)

मूल रूप से, वे प्रकाश की चमक से संबंधित हैं जिन्हें शूटिंग स्टार्स (shooting stars) के रूप में जाना जाता है जो कभी-कभी आकाश में गिरते हुए दिखाई देते हैं. लेकिन हम एक ही वस्तु को अलग-अलग नामों से पुकारते हैं, पर ये निर्भर करता है कि वे कहां हैं या उनकी पोजीशन क्या है.

छोटे क्षुद्रग्रहों को meteoroids के रूप में जाना जाता है. वे अंतरिक्ष की वस्तुएं हैं जो धूल के दाने से लेकर छोटे क्षुद्रग्रहों तक के आकार में होती हैं.

जब ये meteoroids पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं या किसी अन्य ग्रह जैसे कि उच्च गति पर मंगल और आग के गोले या "शूटिंग स्टार" को उल्का (meteors) के रूप में जाना जाता है. या हम कह सकते हैं कि जब कोई क्षुद्रग्रह या meteoroid वायुमंडल में प्रवेश करता है और आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का (meteor) कहा जाता है. तेज गति में, वे जल जाते हैं.

वहीं उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुंचता है उसे उल्कापिंड (meteorite) के रूप में जाना जाता है. या हम कह सकते हैं कि कुछ भी जो प्रभाव से बचता है, वह उल्कापिंड है.

Meteor Shower क्या है? या पृथ्वी पर कितने उल्काएं पहुंचते हैं? (What is a Meteor Shower? or How many Meteors reach the Earth?)

वैज्ञानिकों के अनुसार प्रत्येक दिन 48.5 टन या 44 टन या 44,000 किलोग्राम उल्कापिंड पृथ्वी पर गिरते हैं. लगभग सभी सामग्री पृथ्वी के वातावरण में वाष्पीकृत हो जाती है, जिसके कारण एक रौशनी सी निकलती हुई दिखती है जिसे  "शूटिंग स्टार" ("shooting stars") के रूप में जाना जाता है.

यह छोटी चट्टानें लगभग हर दिन पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं, लेकिन अधिकतर जल जाती हैं और पता भी नहीं चलता है. इनके बड़े प्रभाव दुर्लभ होते  हैं.  प्रति घंटे विभिन्न उल्काएं आमतौर पर किसी भी रात को देखी जा सकती हैं. कभी-कभी संख्या नाटकीय रूप से बढ़ जाती है और इन घटनाओं को उल्का बौछार (meteor shower) कहा जाता है.

आपको बता दें कि meteor showers सालाना या नियमित अंतराल पर होती है क्योंकि पृथ्वी धूल के मलबे के निशान से गुजरती है जो धूमकेतु द्वारा छोड़ी जाती है. तारे या नक्षत्र के बाद उल्का पिंडों का नामकरण किया जाता है. सबसे प्रसिद्ध Perseids हैं, जो हर साल अगस्त में चरम पर होते हैं. नासा के अनुसार, हर Perseid उल्का धूमकेतु स्विफ्ट-टटल (Swift-Tuttle) का एक छोटा सा टुकड़ा है, जो हर 135 साल में सूर्य द्वारा स्विंग करता है.

इसलिए, ऐसा कहा जाता है कि हर 2000 साल में एक बार बड़े क्षुद्रग्रहों के पृथ्वी से टकराने की आशंका होती है. तुंगुस्का (Tunguska) घटना हाल के दिनों में सबसे ज्यादा नुकसानदेह वाली उल्कापिंड की वजह से थी. यह एक मेगाटन-स्केल विस्फोट था जिसने 1908 में साइबेरियन फ़ॉरेस्ट (Siberian Forest) के swathe को नष्ट कर दिया था.

नासा के अनुसार, वर्तमान में 958,866 ज्ञात क्षुद्रग्रह (asteroids) और 3,647 ज्ञात धूमकेतु (comets) हैं.

धूमकेतु, क्षुद्रग्रहों की तरह सूर्य की परिक्रमा करते हैं. लेकिन धूमकेतु बर्फ से बने होते हैं, धूल से नहीं. धूमकेतु की कक्षा इसे सूर्य की ओर ले जाती है, बर्फ और धूल वाष्पीकृत होने लगती है. ये वाष्पीकृत बर्फ और धूल धूमकेतु की पूंछ बन जाते हैं.

अंत में ऐसा कहा जा सकता है कि हर रात को उल्काएं अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं लेकिन इनमें से पृथ्वी पर गिरने वाले पिंडों की संख्या काफी कम होती है. इनका महत्व वैज्ञानिक दृष्टि से काफी अधिक है क्योंकि एक तो ये अति दुर्लभ होते हैं, दूसरे आकाश में विचरते हुए विभिन्न ग्रहों इत्यादि के संगठन और संरचना (स्ट्रक्चर) के ज्ञान के प्रत्यक्ष स्रोत केवल ये ही पिंड हैं. इनके अध्ययन से ये भी पता चलता है कि भूमंडलीय वातावरण में आकाश से आए हुए पदार्थ पर क्या-क्या प्रतिक्रियाएं होती हैं.

तो अब आप क्षुद्रग्रह, उल्का और उल्कापिंड के बीच के अंतर के बारे में ज्ञात हो गया होगा.

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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