क्या है मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार (Mobile Train Radio Communication-MTRC) प्रणाली, जानें

रेलवे की ओर से अपने यात्रियों को सुविधाएं देने के लिए समय-समय पर विभिन्न कदम उठाए जाते हैं। इस कड़ी में पश्चिमी रेलवे द्वारा मुंबई लोकल ट्रेनों में मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार (Mobile Train Radio Communication-MTRC) प्रणाली शुरू की गई है। इस प्रणाली की मदद से यात्रियों को वास्तविक समय के बारे में अपडेट मिलेगी। इस लेख के माध्यम से हम रेलवे की इस तकनीक के बारे में जानेंगे, जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें।    

Apr 4, 2023, 19:15 IST
Mobile Train Radio Communication (MTRC) System
Mobile Train Radio Communication (MTRC) System

भारत में रेलवे यातायात का प्रमुख साधन है। यही वजह है कि इसके प्रत्येक जोन में यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या बहुत अधिक है। प्रतिदिन करोड़ों की संख्या में यात्री इससे सफर करते हैं। वहीं, रेलवे की ओर से भी अपनी यात्रियों को सुविधाएं देने के लिए समय-समय पर नए प्रयोग किए जाते हैं। इसी कड़ी में पश्चिमी रेलवे की ओर से मुंबई लोकल ट्रेनों में मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार प्रणाली को शुरू किया गया था। इस लेख के माध्यम से हम रेलवे की इस तकनीक के बारे में जानेंगे। 

 

1 मार्च 2021 को पश्चिम रेलवे ने मुंबई में मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार (Mobile Train Radio Communication-MTRC) प्रणाली का उद्घाटन किया था। यह प्रणाली एक प्रभावी और तकनीकी रूप से उन्नत संचार प्रणाली है, जो ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करेगी.

आइये अब मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार प्रणाली (Mobile Train Radio Communication-MTRC) के बारे में जानते हैं.

- तकनीकी रूप से यह उन्नत संचार प्रणाली है. यह ट्रेन चालक दल, स्टेशन मास्टर और नियंत्रण केंद्र के बीच त्वरित संपर्क प्रदान करती है.

- इस प्रणाली के तहत एक बार डायल करने पर कॉल को 300 मिलीसेकंड के अंदर कनेक्ट किया जा सकता है.

- MTRC उसी तरह से कार्य करता है जैसे एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल (ARC) किसी विमान के लिए करता है.

- यह प्रणाली सिस्टम मॉनिटर, पटरियों और संचार में सहायता करेगी जिससे रेल की गति की सुचारू रूप से आवाजाही सुनिश्चित होगी. 

- इससे प्रतिकूल घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी.

- इस प्रणाली को चर्चगेट और विरार के बीच 100 में से 90 रेक में लगाया गया है.

चर्चगेट - पश्चिम रेलवे के मुंबई उपनगरीय खंड के विरार खंड में उच्च घनत्व वाला यातायात मार्ग है. यहां ट्रेनें प्रमुख या पीक आवर्स के दौरान लगभग 3 मिनट के अंतराल पर चलती हैं. वर्तमान में इस खंड में प्रत्येक दिन लगभग 1300 सेवाओं के माध्यम से औसतन 3.4 मिलियन से अधिक यात्रियों को ले जाने की क्षमता है.

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MTRC प्रणाली में किस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है?

मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार प्रणाली (Mobile Train Radio Communication) टेरेस्ट्रियल ट्रंक्ड रेडियो (Terrestrial Trunked Radio, TETRA) डिजिटल तकनीक पर आधारित है. यह एयर इंटरफेस और इंटरनेट प्रोटोकॉल आधारित नेटवर्क आर्किटेक्चर पर TDMA का उपयोग करती है.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पश्चिम रेलवे के अधिकारियों ने बताया, "MTRC विमान के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के समान कार्य करता है. सिस्टम ट्रेनों और नियंत्रण कक्ष के बीच संचार की निगरानी, ट्रैक और सहायता करेगा, जिससे वहां सुचारूता सुनिश्चित होगी. रेक की गति और साथ ही प्रतिकूल घटनाओं को रोकने में मदद होगी."

आइये अब MTRC प्रणाली के लाभ के बारे में जानते हैं.

- यह किसी भी दो सेक्शन ट्रेन कंट्रोलर, डाय ट्रेन कंट्रोलर (Dy Train Controller) और EMU कंट्रोलर को कॉल करने के लिए सिंगल टच डायलिंग में सक्षम बनाता है.

- मॉनसून अवधि के दौरान ट्रेन संचालन की वास्तविक समय की जानकारी प्राप्त करने में MTRC प्रणाली भी लाभदायक होगी.

- मोटर्मैन और गार्ड्स के लिए कैब रेडियो के लिए ऑटो कॉल आंसर केवल ऑडियो प्राप्त करने के लिए (केवल कंट्रोलर से और उसी रेक के अन्य टैक्सी से कॉल करें)

- आसान पहुंच के लिए डायल करते वक्त तीन नियंत्रक के संपर्क नंबर फोनबुक में फीड किए गए हैं.

- मोटरमैन सीधे EMU-to-EMU नियंत्रक के दोष को संप्रेषित कर सकता है, जो अन्य ट्रेनों के अवरोध को कम करता है.

- किसी भी दुर्घटना के मामले में, प्रसारण कॉल (Broadcast calls) के माध्यम से मोटरमैन और गार्ड की गाड़ियों को एक साथ सूचित किया जा सकता है.

- साथ ही ट्रेनों के यात्रियों को इस प्रणाली के माध्यम से घोषणाओं (Announcements) के माध्यम से सूचित किया जा सकता है.

- यदि MTRC फोन व्यस्त है, तो आपातकालीन कॉल करने पर DY.TNL को जाता है.

अंत में मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार प्रणाली के डिज़ाइन के बारे में अध्ययन करते हैं.

डिजिटल MTRC प्रणाली के प्रावधान में INR 5.98 करोड़ का परिव्यय था, जिसने 2 वर्ष के लिए वारंटी और 5 वर्षों के लिए वार्षिक रखरखाव शुल्क प्रदान किया था. डिज़ाइन IIT द्वारा प्रदान किया गया था और पश्चिमी रेलवे मुख्यालय द्वारा नए टावरों को मंजूरी प्रदान की गई थी.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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