ATM हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले शब्दों में से एक है और इस मशीन का इस्तेमाल लगभग हर दिन होता है। चाहे पैसे निकालने हों, बैलेंस चेक करना हो या पैसे ट्रांसफर करने हों, ATM अब नए बैंकिंग सिस्टम का एक अटूट हिस्सा बन गए हैं। हालांकि, लोग इसका इतना ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, फिर भी हर कोई यह नहीं जानता कि ATM का पूरा नाम क्या है और यह कैसे बना। इसका पूरा नाम और इतिहास जानने से न केवल आपका ज्ञान बढ़ेगा, बल्कि आप यह भी समझ पाएंगे कि इस मशीन ने पैसों के लेन-देन के तरीके को कैसे बदल दिया।
ATM का पूरा नाम क्या है?
ATM का पूरा नाम “ऑटोमेटेड टेलर मशीन” (Automated Teller Machine) है। यह एक स्वचालित बैंकिंग डिवाइस है, जो ग्राहकों को बिना किसी इंसानी मदद के पैसे जमा करने, निकालने, फंड ट्रांसफर करने और बैलेंस चेक करने जैसे बैंकिंग लेनदेन करने की सुविधा देता है। इसमें 'ऑटोमेटेड' शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया गया है, क्योंकि यह प्रक्रिया मशीन द्वारा अपने आप की जाती है। 'टेलर' शब्द का इस्तेमाल इसलिए होता है, क्योंकि ये काम पारंपरिक रूप से बैंक काउंटर पर बैठा कोई अधिकारी करता था। इसलिए, 'ऑटोमेटेड टेलर मशीन' इस मशीन के लिए सबसे सही नाम है, जो एक इंसान की जगह स्वचालित तरीके से काम करती है।
कोटक महिंद्रा बैंक के अनुसार, यह ATM का सही और आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त पूरा नाम है। कुछ लोग ATM का पूरा नाम 'एनी टाइम मनी' (Any Time Money) भी समझते हैं, लेकिन यह सिर्फ एक लोकप्रिय कहावत है, जो आम लोगों के बीच प्रचलित हो गई है। ATM का मकसद 24/7 आसान और सुविधाजनक बैंकिंग देना है, ताकि कोई भी ग्राहक किसी भी समय अपने पैसे निकाल सके। आजकल, ATM में उच्च-स्तरीय सुरक्षा सॉफ्टवेयर, कार्ड रीडर और डिजिटल इंटरफेस लगे होते हैं। इससे यूजर्स सुरक्षित और प्रभावी ढंग से कई तरह के काम कर सकते हैं।
ATM की शुरुआत कब हुई?
ATM का विचार पहली बार 1960 के दशक में आया, जब बार्कलेज बैंक ने 27 जून 1967 को लंदन के एनफील्ड ब्रांच में पहला ATM लॉन्च किया। इसने दुनिया की बैंकिंग में एक क्रांति ला दी। जॉन शेफर्ड-बैरन ने एक ऐसा तरीका सोचा, जिससे ग्राहक बैंकिंग समय के बाद भी अपना पैसा निकाल सके और उन्होंने इस मशीन का आविष्कार किया।
USA में ATM की शुरुआत कब हुई?
अमेरिकन बैंकर की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में पहला ATM 2 सितंबर 1969 को न्यूयॉर्क के रॉकविल सेंटर में केमिकल बैंक द्वारा लगाया गया था। जल्द ही पूरी दुनिया में ATM आम हो गए और आने वाले दशकों में बैंकों ने ग्राहकों की सुविधा के लिए इसे अपना लिया।
भारत में ATM की शुरुआत कब हुई?
इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली रिसर्च फाउंडेशन के अनुसार, भारत में पहला ATM 1987 में HSBC बैंक ने अपनी मुंबई शाखा में लगाया था। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की रिपोर्ट के अनुसार, आज देश में 2 लाख से ज्यादा ATM हैं, जिनके जरिए लाखों ग्राहक हर दिन अपनी बैंकिंग सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं।
ATM के सबसे जरूरी काम क्या हैं?
वर्तमान में ATM (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) यूजर्स को ये सुविधाएं देते हैं:
-डेबिट या ATM कार्ड और पिन का उपयोग करके बैंक खाते से नकदी निकालना।
-मिनी-स्टेटमेंट मांगना और खाते का बैलेंस चेक करना।
-बैंक काउंटर पर जाए बिना पैसे निकालना या चेक जमा करना (यह सुविधा एडवांस्ड मशीनों में होती है)।
-खातों के बीच पैसे ट्रांसफर करना, कुछ बिलों का भुगतान करना या पिन बदलना (यह मशीन/देश पर निर्भर करता है)।
-ये 24x7 काम करते हैं (ज्यादातर मामलों में) और बैंकों, मॉल, एयरपोर्ट जैसी जगहों पर स्थित होते हैं, जिससे ये ज्यादा सुविधाजनक होते हैं।
संक्षेप में, ऑटोमेटेड टेलर मशीन (ATM) बैंकिंग के इतिहास के सबसे महत्त्वपूर्ण आविष्कारों में से एक था। यह बैंकिंग समय के बाद पैसे निकालने के एक सरल विचार के रूप में शुरू हुआ था। अब यह दुनिया भर में फैली इंटेलिजेंट मशीनों का एक नेटवर्क बन गया है, जो आसानी से कई तरह के बैंकिंग काम कर सकती हैं।
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