बॉलीवुड के "ही-मैन" के नाम से मशहूर धर्मेंद्र जी का निधन हो गया. उनकी अभिनय यात्रा छह दशकों से भी अधिक समय तक चली और जिन्होंने भारतीय फिल्मों पर अमिट छाप छोड़ी। 1960 की फ़िल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से डेब्यू करते हुए वे जल्द ही स्टारडम तक पहुँचे। यहाँ धर्मेंद्र के जीवन, उनकी पहली फ़िल्म और उनसे जुड़ी सात दिलचस्प व वास्तविक जानकारियों को विस्तार से नए अंदाज़ में प्रस्तुत करने की कोशिश की जा रही है।
बॉलीवुड में कदम
8 दिसंबर 1935 को पंजाब के नसराली गाँव में धरम सिंह देओल के रूप में जन्मे धर्मेंद्र का फिल्मी सफर काफी संघर्षों से शुरू हुआ। 1958 में उन्होंने फ़िल्मफेयर न्यू टैलेंट कॉन्टेस्ट जीता, जिसने उन्हें गाँव से मुंबई तक पहुँचा दिया। फिल्मों में आने से पहले वे रेलवे में क्लर्क की नौकरी करते थे और उन्हें मात्र ₹125 प्रति माह वेतन मिलता था। निर्देशक अरुण हिंगोरानी ने उनकी प्रतिभा को पहचानकर उन्हें पहली फ़िल्म का मौका दिया और यहीं से उनका नाम बदलकर "धर्मेंद्र" रखा गया।
पहली फ़िल्म और मिली छोटी-सी फीस
धर्मेंद्र की पहली फ़िल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ (1960) थी। यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई, लेकिन इसी से उनका फिल्मी सफर शुरू हुआ। इस फ़िल्म के लिए धर्मेंद्र को कुल ₹51 की फीस मिली थी जिसे फ़िल्म के तीन प्रोड्यूसर्स ने ₹17-₹17 देकर यह राशि पूरी की थी। यहीं से शुरू हुई उनकी संघर्षपूर्ण शुरुआत आगे चलकर करोड़ों में फीस लेने वाले सुपरस्टार तक पहुँच गई।
बॉलीवुड के “ही-मैन” कैसे बने?
धर्मेंद्र की मजबूत काया, प्रभावशाली स्क्रीन प्रेज़ेंस और एक्शन दृश्यों की ताकत ने उन्हें “ही-मैन” की पहचान दिलाई। उनका बड़ा ब्रेक 1966 की फ़िल्म ‘फूल और पत्थर’ से मिला, जहाँ वे मीना कुमारी के साथ नजर आए। यह फ़िल्म सुपरहिट रही और धर्मेंद्र को हिंदी सिनेमा का प्रमुख एक्शन स्टार बना दिया।
हास्य और रोमांस दोनों में माहिर कलाकार
एक्शन ही नहीं, धर्मेंद्र की कॉमिक टाइमिंग भी कमाल की थी। 1975 की क्लासिक कॉमेडी ‘चुपके चुपके’ में उनकी भूमिका आज भी दर्शकों की पसंदीदा है, जहाँ उन्होंने एक वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर का किरदार निभाया था जो ड्राइवर बनकर सबको चकमा देता है। इसके अलावा, ‘सत्यकाम’ (1969) में निभाया उनका गंभीर और आदर्शवादी किरदार हिंदी सिनेमा के श्रेष्ठ प्रदर्शन में गिना जाता है।
एक ही साल में सात हिट फ़िल्में
1987 में धर्मेंद्र ने एक अद्भुत रिकॉर्ड बनाया जब उनकी 7 फ़िल्में एक ही वर्ष में सुपरहिट रहीं। यह उपलब्धि दिखाती है कि दर्शकों में उनकी लोकप्रियता कितनी अपार थी और निर्माता-निर्देशक उनके स्टारडम पर कितना भरोसा करते थे।
परिवार और विरासत
धर्मेंद्र देओल परिवार के मुखिया थे। धर्मेंद्र की दो शादियों से कुल छह बच्चे हैं। अपनी पहली पत्नी प्रकाश कौर से उनके चार बच्चे हैं दो बेटे सनी देओल और बॉबी देओल, जो बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता हैं, और दो बेटियाँ विजेता देओल और अजीता देओल है जो विदेश में बस चुकी हैं और लाइमलाइट से दूर रहती हैं। दूसरी पत्नी हेमा मालिनी से धर्मेंद्र की दो बेटियाँ ईशा देओल और अहाना देओल हैं।
2007 की फ़िल्म ‘अपने’ में पहली बार धर्मेंद्र, सनी और बॉबी तीनों एक साथ नजर आए और फ़िल्म बड़ी हिट साबित हुई।
सम्मान और उपलब्धियाँ
भारतीय सिनेमा में अमूल्य योगदान के लिए धर्मेंद्र को 2012 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें 1997 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी मिला। उनकी फिल्मों, अभिनय और व्यक्तित्व का प्रभाव आज भी नई पीढ़ी के कलाकारों को प्रेरित करता है।
अंत में…
एक साधारण रेलवे क्लर्क से लेकर बॉलीवुड के महान सुपरस्टार बनने तक की धर्मेंद्र की कहानी मेहनत, संघर्ष, और अदम्य जज़्बे की मिसाल है। उनका करियर, व्यक्तित्व और योगदान उन्हें भारतीय सिनेमा का महानायक बनाता है।
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