ऑफर फॉर सेल (OFS) क्या है और इसके माध्यम से भारत सरकार IRCTC की कितने प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है?

भारत सरकार इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्प (IRCTC) की 20 फीसदी हिस्सेदारी को ऑफर फॉर सेल (OFS) के माध्यम से बेचेगी, जिसमें सरकार 5 फीसदी ग्रीन शू ऑप्शन के साथ 15 फीसदी इक्विटी शेयर देगी। इस प्रस्ताव के लिए फ्लोर प्राइज 1,367 रुपये रखा गया है।
ऑफर फॉर सेल (OFS) गैर-खुदरा निवेशकों (non-retail investors) के लिए गुरुवार को खोला गया जबकि खुदरा निवेशकों (retail investors) के लिए ये आज (शुक्रवार) खोला गया। OFS का कुल 10% खुदरा निवेशकों के लिए और 5% गैर-खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित किया गया है।
सरकार IRCTC की 20 फीसदी हिस्सेदारी क्यों बेच रही है?
सरकार के पास फिलहाल IRCTC में 87.40 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सेबी (SEBI) के सार्वजनिक होल्डिंग मानक को पूरा करने के लिए सरकार को कंपनी में अपनी हिस्सेदारी को 75 प्रतिशत तक कम करना होगा।
इसके अलावा OFS के माध्यम से सरकार को 2.10 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य (disinvestment target) को पूरा करने में मदद मिलेगी। इसमें से 1.20 लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (public sector undertakings)के विनिवेश से और बाकी 90,000 करोड़ रुपये वित्तीय संस्थानों (financial institutions) में हिस्सेदारी को बेचकर जुटाए जाएंगे।
ऑफर फॉर सेल (OFS) क्या है?
ऑफर फॉर सेल कंपनी के शेयर बेचने का एक सरल तरीका है जिसमें सार्वजनिक कंपनियों में प्रमोटर अपने शेयर बेच सकते हैं और एक्सचेंज के लिए बोली लगाने वाले प्लेटफॉर्म के माध्यम से पारदर्शी तरीके से अपनी होल्डिंग को कम कर सकते हैं। इसे साल 2012 में सेबी (SEBI) द्वारा पेश किया गया था।
ऑफर फॉर सेल (OFS) पर सेबी (SEBI) के नियम
1- जो भी कंपनी ऑफर फॉर सेल (OFS) जारी करना चाहती है उसे इश्यू के दो दिन पहले इसकी सूचना देनी होगी।
2- कंपनी एनएसई (NSE) में सूचीबद्ध कंपनियों को भी इसके बारे में अलग से सूचित करेगी।
ऑफर फॉर सेल (OFS) के माध्यम से कौन-कौन शेयर खरीद सकता है?
ऑफर फॉर सेल (OFS) के माध्यम से रीटेल इन्वेस्टर्स, म्यूचुअल फंड्स, विदेशी संस्थागत निवेशक (जैसे FPI, FII), इंश्योरेंस कंपनियां, कॉरपोरेट हाउसेस, दूसरे क्वॉलिफाइड इंस्टीट्यूशनल बिडर्स, हिंदू अनडिवाइडेड फैमिलीज (HUF), NRI निवेशक शेयर खरीद सकते हैं।
ऑफर फॉर सेल (OFS) के माध्यम से शेयर्स कैसे खरीदें?
ऑफर फॉर सेल (OFS) के माध्यम से शेयर्स खरीदने के लिए निवेशकों के पास डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट होना अनिवार्य है। निवेशक अपने ट्रेडिंग अकाउंट के माध्यम से शेयरों की संख्या और बिडिंग प्राइस का चयन करके ऑफर फॉर सेल (OFS) में भाग ले सकते हैं।
ऑफर फॉर सेल (OFS) से जुड़ी ज़रूरी बातें
1- निवेशक को शेयर मिलेगा या नहीं, यह इस पर निर्भर करता है कि अंतिम निविदा में कंपनी ने ऑफर फॉर सेल (OFS)के लिए क्या कीमत तय की है।
2- ऑफर फॉर सेल (OFS) में फॉर्म जारी नहीं किया जाता है। इसका मतलब है कि अगर आप पहले से ही शेयर ब्रोकर के साथ पंजीकृत हैं तो आपको कोई कागज़ात देने की ज़रूरत नहीं होगी।
3- इसके तहत आप सिर्फ शेयरों को खरीद सकते हैं, उनकी बिक्री नहीं कर सकते।
4- ऑफर फॉर सेल (OFS) के माध्यम से पंजीकृत निवेशक कितने भी शेयरों को खरीदने का प्रस्ताव पेश कर सकता है।
5- ये प्लेटफॉर्म बेस्ड होता है और इसमें ट्रांजैक्शनल चार्जेज़, STT आदि को छोड़कर बाकी एडिशनल चार्जेज़ नहीं होते हैं।
6- ऑफर फॉर सेल (OFS) में अलॉटमेंट प्राइस बिडिंग खत्म होते ही तय हो जाता है और उसी दिन एलोकेशन हो जाता है।
7- इसकी सबसे बड़ी खामी यह है कि निवेशकों को पूरी रकम ब्रोकर के पास एडवांस में रखनी होती है।
फ्लोर प्राइज क्या होता है? विक्रेताओं को T-2 / T-1 दिन (T मतलब OFS का दिन) पर एक फ्लोर प्राइज प्रदान करना होगा। निवेशक इस कीमत पर या इससे ऊपर की कीमत पर निवेश कर सकते हैं। |
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