हरियाणा उत्तर भारत के प्रमुख राज्यों में शामिल है। यह राज्य देश का 20वां सबसे बड़ा राज्य है, जो कि अपनी विविध संस्कृति और अनूठी परंपराओं के लिए देश-दुनिया में जाना जाता है। आपने प्रदेश के अलग-अलग जिलों के बारे में पढ़ा और सुना होगा।
इसमें सोनीपत जिला भी खास है, जो कि दिल्ली से कम दूरी पर ही स्थित है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि सोनीपत जिले को इतिहास में किस नाम से जाना जाता था, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
हरियाणा में कुल जिले
हरियाणा के कुल एरिया की बात करें, तो यह कुल 44,212 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें कुल 22 जिले हैं, जिसमें कुल 72 उपमंडल आते हैं। साथ ही, यहां 93 राजस्व तहसील, 50 उप-तहसील, 154 शहर, 90 विधानसभा सीटें, 10 लोकसभा सीटें और 5 राज्यसभा सीटें हैं।
हरियाणा का सबसे बड़ा और सबसे छोटा जिला
हरियाणा के सबसे बड़े जिले की बात करें, तो यह सिरसा जिला है। वहीं, सबसे छोटे जिले की बात करें, तो यह फरीदाबाद जिला है।
सर्वाधिक और न्यूनतम साक्षर जिला
हरियाणा के सर्वाधिक साक्षर जिले की बात करें, तो यह गुरुग्राम है। वहीं, न्यूनतम साक्षर जिले की बात करें, तो यह नूंह जिला है।
किस नाम से जाना जाता था सोनीपत जिला
अब सवाल है कि हरियाणा का सोनीपत जिला इतिहास में किस नाम से जाना जाता था, तो आपको बता दें कि यह पूर्व में स्वर्णप्रस्थ नाम से जाना जाता था।
क्यों कहा जाता था स्वर्णप्रस्थ
अब सवाल है कि सोनीपत को स्वर्णप्रस्थ क्यों कहा जाता था ? स्वर्णप्रस्थ दो शब्दों से मिलकर बना है, स्वर्ण + प्रस्थ यानि सोने का स्थान। इसे लेकर मान्यता है कि इस स्थान के बारे में महाकाव्य महाभारत में भी जिक्र है। मान्यताओं के मुताबिक, यह वही स्थान है, जिसे पांडवों द्वारा पांच गावों में से एक गांव में मांगा गया था।
पहले रोहतक जिले का हिस्सा था सोनीपत
सोनीपत जिला 22 दिसंबर, 1972 को स्थापित हुआ था। पहले यह रोहतक जिले का हिस्सा हुआ करता था। बाद में यह अलग जिला बना। सोनीपत जिले के चार दरवाजे प्रसिद्ध है, जिसमें लाल दरवाजा, कुम्हार दरवाजा, साबर दरवाजा और थाना दरवाजा है।
इस जिले में एक संग्रहालय भी है, जिसे स्वर्णप्रस्थ के नाम से जाना जाता है। वहीं, इस जिले की स्थापना को लेकर कहा जाता है कि यह शहर आर्यों द्वारा 1500 ईपू में बसाया गया था।
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