Parkash Purab of Guru Tegh Bahadur: PM Modi सूर्यास्त के बाद लाल किले से देश को संबोधित करके रचने जा रहे हैं एक और इतिहास

Parkash Purab of Guru Tegh Bahadur: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सूर्यास्त के बाद मुगल-युग के स्मारक लाल किले पर 21 अप्रैल 2022 को राष्ट्र को संबोधित करके एक नया इतिहास रचने जा रहे हैं. गुरु तेग बहादुर की 400 वीं जयंती को चिह्नित करने के लिए गुरुवार रात लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करेंगे. सूर्यास्त के बाद भाषण देने वाले नरेन्द्र मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री बन जाएंगे. इस बार प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से नहीं बल्कि लान से देशवासियों को संबोधित करेंगे.
केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि पीएम का संबोधन दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के सहयोग से लाल किले में मंत्रालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय मेगा कार्यक्रम की परिणति को चिह्नित करेगा. सूत्रों के अनुसार पीएम अपने भाषण में, जो कि 400 रागियों (सिख संगीतकारों) द्वारा 'शबद कीर्तन' के बाद रात लगभग 9:30 बजे होने की उम्मीद है, पीएम के अंतर-शांति के संदेश को प्रसारित करने पर ध्यान केंद्रित करने की संभावना है.
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लाल किले को आयोजन स्थल के रूप में क्यों चुना गया?
मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार लाल किले को दो कारणों से आयोजन स्थल के रूप में चुना गया था. “सबसे पहले, यह वह स्थान था जहाँ से मुगल शासक औरंगजेब ने 1675 में गुरु तेग बहादुर को फांसी देने का आदेश दिया था. दूसरा, लाल किले की प्राचीर वह जगह है जहां से प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हैं, इसलिए यह अंतरधार्मिक शांति के संदेश के साथ लोगों तक पहुंचने के लिए एक आदर्श स्थान है."
यहीं आपको बता दें कि 2018 में, मोदी जी ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया था और सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज की 75वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए लाल किले से एक संबोधन किया था.
सोमवार को इस कार्यक्रम की घोषणा करते हुए, रेड्डी ने कहा: "गुरु तेग बहादुर धार्मिक विश्वासों की स्वतंत्रता की रक्षा करके मुगलों के अत्याचारों के खिलाफ खड़े हुए; उन्होंने सिखों और हिंदुओं के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी. धर्मांतरण के लिए मुगलों द्वारा शारीरिक रूप से प्रताड़ित किए जाने के बावजूद, वह अपनी जमीन पर खड़े रहे और अपनी आस्था प्रणाली को नहीं, बल्कि अपनी जान देने का फैसला किया. उन्होंने कश्मीरी पंडितों के जबरन सामूहिक धर्मांतरण के खिलाफ लड़ाई लड़ी और इससे मुगलों में हड़कंप मच गया था."
मंत्री जी ने ये भी कहा कि चांदनी चौक में गुरुद्वारा सीस गंज साहिब उस स्थान पर बनाया गया था जहां मुगलों ने उनका सिर कलम किया था, जबकि गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब उनके शहीदी स्थल पर बनाया गया था.
इस कार्यक्रम में 400 सिख संगीतकारों द्वारा पेर्फोर्मंस दी जाएगी और साथ ही लंगर भी होगा. इस अवसर पर मोदी जी एक स्मरणीय सिक्का और डाक टिकट भी जारी करेंगे, अधिकारियों के अनुसार.
कार्यक्रम के बारे में
कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार द्वारा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सहयोग से किया जा रहा है. दो दिवसीय (20 और 21 अप्रैल) कार्यक्रम के दौरान, देश के विभिन्न हिस्सों से रागी और बच्चे 'शब्द कीर्तन' में भाग लेंगे. गुरु तेग बहादुर जी के जीवन को दर्शाने वाला भव्य लाइट एंड साउंड शो भी होगा. इसके अलावा सिखों की पारंपरिक मार्शल आर्ट 'गतका' ('Gatka') का भी आयोजन किया जाएगा.
कार्यक्रम नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाओं को उजागर करने पर केंद्रित है, जिन्होंने विश्व इतिहास में धर्म और मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया. उन्हें मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर कश्मीरी पंडितों की धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करने के लिए मार डाला गया था. उनकी पुण्यतिथि 24 नवंबर को हर साल शहीदी दिवस के रूप में मनाई जाती है. दिल्ली में गुरुद्वारा सीस गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज उनके पवित्र बलिदान से जुड़े हैं. उनकी विरासत राष्ट्र के लिए एक महान एकीकरण शक्ति के रूप में कार्य करती है.
आइये आब जानते हैं कि अब तक कितनी बार पीएम नरेंद्र मोदी लाल किले से अपना संबोधन दे चुके हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अब तक लाल किले से तकरीबन 9 बार अपना संबोधन दे चुके हैं. वे भारत के प्रधानमंत्री होने के नाते लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को साल 2014 से 2021 तक संबोधित कर चुके हैं. जब पहली बार पीएम मोदी जी ने देश को संबोधित किया था, तब उन्होंने लगभग एक घंटे से ज्यादा तक का भाषण दिया था. पीएम मोदी जी ने लगभग 86 मिनट तक देश को संबोधित कर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का रिकार्ड 2015 में तोडा था. वहीं पीएम मोदी जी ने देश को लगभग 94 मिनट तक संबोधित करते हुए अपना ही रिकार्ड 2016 में तोड़ दिया था.
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